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राहुल की हरियाणा विजय संकल्प यात्रा, कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक

आर्टिकल/इंटरव्यूराहुल की हरियाणा विजय संकल्प यात्रा, कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक

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अमित बिश्नोई
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी एक और यात्रा पर निकलने वाले हैं. इस पहले उनकी जो दो यात्रायें रही हैं वो सामाजिक उद्देश्य के लिए कही जा सकती हैं लेकिन हरियाणा के सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और अम्बाला और अन्य ज़िलों के विधानसभा क्षेत्रों में उनकी 30 सितम्बर से निकलने वाली यात्रा विशुद्ध चुनावी मकसद के लिए है और उसका मकसद हरियाणा में एक बड़ी जीत हासिल करना है इसीलिए इस यात्रा को हरियाणा विजय संकल्प यात्रा का नाम दिया गया है। राहुल की इस यात्रा को हाइब्रिड यात्रा बताया जा रहा है जिसमे पदयात्राएं भी होंगी, छोटी बड़ी चुनावी सभाएं भी होंगी और जैसा कि राहुल गाँधी का स्टाइल है कि किसी के घर, किसी की दूकान पर अचानक पहुंचना, वो भी शामिल है. यात्रा की शुरुआत अम्बाला से शुरू होगी। अम्बाला जिसे भाजपा का गढ़ माना जाने लगा था मगर लोकसभा चुनाव में यहाँ से कुमारी शैलजा ने जीत का परचम लहराकर कांग्रेस के लिए यहाँ से एक नई राह खोली। हरियाणा में यूँ तो कांग्रेस के पक्ष में माहौल नज़र आ रहा है, राहुल गाँधी की ये यात्रा उस माहौल को और पुख्ता करेगी, एक फिनिशिंग टच देगी या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि माहौल को लहर बनाने के लिए राहुल गाँधी की इस यात्रा प्रोग्राम को डिज़ाइन किया गया है.

हरियाणा की चुनावी सियासत में या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि किसी भी राज्य के चुनाव में एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता द्वारा इस तरह की हाइब्रिड यात्रा पहला प्रयोग है. राहुल गाँधी 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर तक यानि चुनाव प्रचार ख़त्म होने तक लगातार हरियाणा की सड़कों, गाँव की चौपालों और शहरों में नज़र आएंगे, ऐसा पहली बार हो रहा कि इतना बड़ा कोई नेता किसी विधानसभा के चुनाव में लगातार तीन चार दिन चुनाव प्रचार करे. कांग्रेस पार्टी का ये एक अभिनव प्रयोग कहा जा सकता। राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव हरियाणा के चुनाव को लेकर कहते हैं कि हरियाणा में तीन तरह के परिणाम अपेक्षित हैं. एक ये कि कांग्रेस की हवा चल रही, दो ये कि कांग्रेस की लहर चल रही, तीन ये कि कांग्रेस की सुनामी चल रही है. वो आगे कहते हैं कि कांग्रेस की हवा का मतलब उसे 50-55 सीटें मिल सकती हैं, अगर लहर चल रही है तो फिर ये संख्या 60-65 तक जा सकती है और अगर सुनामी चल रही है तो फिर 70 के ऊपर कोई भी संख्या क्रॉस कर सकती है. उनके कहने का मतलब यही है कि हरियाणा में बदलाव पक्का है और सरकार कांग्रेस बना रही है. बता दें कि लोकसभा चुनाव को लेकर भी अगर किसी विश्लेषक ने सही अनुमान लगाया था तो वो योगेंद्र यादव ही थे.

कांग्रेस पार्टी को इस बात का अच्छी तरह एहसास है कि माहौल उनके पक्ष में है और राहुल गाँधी की ये हरियाणा विजय संकल्प यात्रा उसी माहौल को लहर या सुनामी में बदलने की कोशिश है. इस यात्रा का जो प्रोग्राम बनाया गया है वो काफी दिलचस्प है. यात्रा अधिकांशतयः उन क्षेत्रों में गुज़रेगी जो भाजपा का गढ़ कहा जाता है जिसने 2014 और 2019 में भाजपा को सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया। इसे GT रोड का इलाका कहा जाता है. इस रोड के दोनों तरफ के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ बहुत मज़बूत है. पिछली बार यहीं से उसे इतनी सीटें मिल गयी थी कि जजपा से जोड़तोड़ करके उसने सरकार बना ली थी. इसी क्षेत्र से भाजपा के दोनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी आते हैं. अब इसी क्षेत्र में कांग्रेस के लिए रास्ते को समतल बनाने का बीड़ा राहुल गाँधी ने उठाया है. चूँकि जाटलैंड में कांग्रेस का दबदबा है, भाजपा से बुरी तरह नाराज़ जाट पूरी तरह कांग्रेस के साथ है, इसलिए कांग्रेस का सारा फोकस गैर जाट इलाकों पर है, यहाँ से वो जितना भी हासिल करेगी वो सीधे भाजपा का नुक्सान होगा और यही नुक्सान कांग्रेस की हवा को लहर या सुनामी में बदल सकता है.

भाजपा के किले को भेदने के लिए अकेले राहुल ही नहीं मैदान में उतरे हैं, कहा जा रहा कि उनके इस काम में उनकी बहन प्रियंका भी साथ देंगी और अगले तीन दिनों में दोनों भाई बहन हरियाणा के हिस्से को पूरी तरह मथ डालेंगे। उस हरियाणा को जो पिछले दस सालों से भाजपा के साथ खड़ा नज़र आ रहा है. राहुल गाँधी आज हुड्डा ग्राउंड नारायणगढ़, अम्बाला से अपनी मुहीम का आगाज़ एक पब्लिक मीटिंग से करेंगे और फिर आज की ये यात्रा बिलासपुर रोड यमुनानगर, दोसड़का चौक मुलाना, राजीव चौक साहा, शहीद उधम सिंह चौक कुरुक्षेत्र, बाबैन चौक लाडवा और पीपली चौक कुरुक्षेत्र से होते हुए शाम को थानेसर पहुंचेगी और एक जनसभा के बाद समाप्त होगी। हरियाणा में राहुल गाँधी के चुनाव प्रचार में न उतरने को लेकर तरह तरह की बातें हो रही थी कि क्यों वो दूरी बनाये हुए हैं जबकि कुमारी शैलजा को लेकर बहुत सी बातें चल रही थी जिनको भाजपा ने भुनाने की बहुत कोशिश की लेकिन तीन दिन पहले सोनीपत में कुमारी शैलजा और भूपिंदर हुड्डा के साथ मंच शेयर करके राहुल गाँधी ने भाजपा के प्रयासों को नाकाम कर दिया और फिर उनकी विजय संकल्प यात्रा का प्रोग्राम सामने आया जिसकी उम्मीद शायद भाजपा ने नहीं की होगी, कि राहुल गाँधी चुनाव प्रचार ख़त्म होने तक इस तरह हरियाणा में सक्रीय रहेंगे। यकीनन कांग्रेस पार्टी की ये एक अच्छी रणनीति कही जा सकती है. जहाँ तक हरियाणा कि बात है तो CDS के एक सर्वे के मुताबिक इस समय लोकप्रियता के मामले में राहुल गाँधी, प्रधानमंत्री मोदी के बराबर खड़े नज़र आ रहे हैं. निश्चित ही राहुल गाँधी की इस हाइब्रिड यात्रा का प्रोग्राम अरेंज करके टीम कांग्रेस या टीम राहुल ने एक मास्टर स्ट्रोक खेला है.

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