अमित बिश्नोई
राहुल गाँधी विदेश दौरे पर जांय, विशेषकर अमेरिका के दौरे पर और उनकी बातों, उनके बयानों पर भाजपा हंगामा न करे, ऐसा हो ही नहीं सकता। भाजपा, उसका आई टी सेल, उसके नेता, उसके प्रवक्ता तब भी राहुल के अमरीकी दौरे पर कही गयी बातों पर राहुल गाँधी को घेरते थे जब वो उन्हें पप्पू समझते थे और अब भी घेर रहे हैं जब वो लोकसभा में नेता विपक्ष बन चुके हैं. अपने तीन दिवसीय अमरीकी दौरे के पहले दो दिन राहुल गाँधी ने टेक्सास और वाशिंगटन डीसी में भारतीय छात्रों और इंडियन डायस्पोरा को सम्बोधित किया और उनसे बहुत खुलकर हर मुद्दे पर बात की. इस दौरान उनके द्वारा कही गयी कुछ बातों पर हमेशा की तरह भाजपा कांग्रेस पार्टी को घेर रही है, बल्कि रिजर्वेशन पर कही गयी उनकी एक बात पर तो मायावती और चिराग पासवान भी काफी नाराज़ नज़र आ रहे हैं.
राहुल गाँधी ने अपने अमेरिकी दौरे पर इस बात को एकबार फिर स्पष्ट रूप से दोहराया कि भारत एक यूनियन ऑफ़ स्टेट्स है. उन्होंने कल रिजर्वेशन ख़त्म किये जाने के एक सवाल पर स्पष्ट रूप से कहा कि देश में अभी ऐसे हालात नहीं हैं कि रिजर्वेशन को ख़त्म किया जा सके. जब तक समाज में सबको बराबरी का दर्जा नहीं मिल जाता तबतक रिजर्वेशन को ख़त्म नहीं किया जा सकता। राहुल गाँधी की ये बात बसपा प्रमुख मायावती और लोजपा के लीडर चिराग पासवान को बहुत बुरी लगी. पासवान ने तो कहा कि इसके बारे में तो सपने में भी नहीं सोचा जा सकता वहीँ मायावती ने तो सीधा आरोप ही लगा दिया कि कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना करवाना ही नहीं चाहती बल्कि वो आरक्षण को ख़त्म करना चाहती है. हालाँकि कल रात वाशिंगटन DC में राहुल गाँधी ने एक सवाल पर एकबार फिर लोगों को उदाहरण देकर बताया कि जातिगत जनगणना क्यों ज़रूरी है क्योंकि इसके बिना लोगों को उनके अधिकार कभी नहीं मिल सकते। राहुल गाँधी ने टेक्सास और वाशिंगटन डीसी दोनों जगहों पर भारत के जटिल मुद्दों को लोगों के सामने उठाया। फिर वो चाहे NEET एग्जाम का मामला हो, GST की बात हो. शिक्षा की बात हो, रोज़गार की बात हो, बिजनेस की बात हो. राहुल गाँधी खुलकर बताते हैं कि चीन भारत का रोज़गार खा रहा है. भारत में कौशल की कोई कमी नहीं लेकिन वो कौशल बेकार हो रहा और चीन का कौशल भारत के कौशल को खाये जा रहा है.
भाजपा राहुल गाँधी की इन बातों को देशद्रोह बता रही है, इन दिनों राहुल गाँधी के लिए स्मृति ईरानी की जगह लेने वाले गिरिराज किशोर राहुल गाँधी पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की बात कहते हैं, उन्हें लगता है कि राहुल गाँधी विदेश में जाकर देश की छवि बिगाड़ रहे हैं, वो प्रधानमंत्री के चीन, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, अमेरिका, दोहा, कनाडा, कैलिफोर्निया में दिए के भाषणों को भूल गए. उन भाषणों में मोदी जी कहते थे कैसे लोग कहते हैं कि भारत भी कोई देश, भारत में रहना शर्म की बात बता रहे थे, पिछली सरकारों को गन्दगी फैलाने वाला बता रहे थे, क्या वो उस समय भारत का सम्मान बढ़ा रहे थे. यहाँ तो राहुल गाँधी ये कह रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री से नफरत नहीं करते, हाँ उनके दृष्टिकोण से असहमत ज़रूर हैं। राहुल कहते हैं कि वो कई बार प्रधानमंत्री मोदी के साथ सहानुभूति रखते हैं। उन्हें नहीं लगता कि वह उनके दुश्मन हैं। उनका एक अलग नजरिया है और मेरा अलग। वह जो कर रहे हैं, उसके प्रति मेरी सहानुभूति और करुणा है। हाँ राहुल गाँधी ये बात ज़रूर कह रहे हैं कि 56 इंच वाले मोदी का डर लोगों में ज़रूर ख़त्म हो गया, अब कोई उनसे डरता नहीं। चुनावों के बाद कुछ बदल गया है। भाजपा और पीएम मोदी ने इतना डर फैलाया और छोटे व्यवसायों पर एजेंसियों का दबाव, लेकिन सब कुछ सेकंड में गायब हो गया। उन्हें यह डर फैलाने में सालों लग गए और कुछ ही सेकंड में गायब हो गया.
भाजपा को राहुल गाँधी की ये बातें हजम नहीं हो रही हैं, कांग्रेस नेता राहुल अमेरिका दौरे पर भारत के लिए भाजपा के दृष्टिकोण पर भी निशाना साध रहे हैं और पार्टी पर देश की अंतर्निहित विविधता को स्वीकार करने में विफल रहने का आरोप भी लगा रहे हैं। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा भारत की समृद्ध विविधता को समझने में विफल रही है। राहुल गांधी अपने कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लगातार निशाने पर लिए हुए हैं.कल उन्होंने आरएसएस पर विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, राहुल ने कहा कि आरएसएस कुछ राज्यों, भाषाओं, धर्मों और समुदायों को हीन समझता है। आरएसएस जो कहता है वह यह है कि कुछ राज्य अन्य राज्यों से हीन हैं। कुछ भाषाएँ अन्य भाषाओं से हीन हैं, कुछ धर्म अन्य धर्मों से हीन हैं और कुछ समुदाय अन्य समुदायों से हीन हैं. राहुल की इन बातों का सामने बैठे लोगों पर असर भी पड़ा रहा है, वो तालियां बजाकर राहुल की इन बातों का स्वागत करते हैं. राहुल गाँधी सामने से एक नहीं कई सवाल भी लेते हैं और अपनी तरफ से उसका स्पष्ट रूप से जवाब भी देते हैं, इस कोशिश में कभी वो फंसते हुए भी नज़र आते हैं लेकिन भागते हुए नहीं। कल्पना कीजिये कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच ओपन मंच से इस तरह के सवाल जवाब में हिस्सा ले सकते हैं. भाजपा चाहती है कि राहुल गाँधी विदेश दौरों सरकार की शान में कसीदें पढ़ें, वो लोगों को बताएं कि देश में आल इज़ वेल का माहौल है लेकिन प्रधानमंत्री अपने विदेशी दौरों पर पिछली सरकारों की बुराई करें तो वो जायज़ है. फिलहाल तो राहुल गाँधी देश में सुर्खियां बटोरने के बाद अमेरिका में भी सुर्खियां बटोर रहे हैं, खुलकर बोल रहे, सधे हुए अंदाज़ में बोल रहे हैं. इस दौरान कुछ ऐसा भी बोले होंगे जो लोगों को या कह सकते हैं भाजपा को पसंद नहीं आया होगा। नेता जब लोगों के बीच जायेगा और उनसे सीधा संवाद करेगा तो कुछ गलतियां भी कर सकता है. राहुल गाँधी जन की बात सुन रहे हैं और जन की बात कर रहे हैं, जनता भी कह रही है कि कोई तो जन की सुन रहा है वरना पिछले एक दशक से सभी सामने वाले के मन की ही सुन रहे हैं.