कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा इस वक्त महाराष्ट्र से गुज़र रही है. राहुल ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्ट्र पूर्व मुख्यामंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस बयान का जवाब दिया जिसमें उन्होंने कल कहा था कि सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, ऐसे विचारों को वो जमीन के नीचे गाड़े बिना नहीं रहेंगे. राहुल ने आज सावरकर अपने विचारों को फिर दोहराया और उस चिठ्ठी को पढ़कर सुनाया जिसे सावरकर ने अंग्रेजी सरकार को माफीनामे के रूप में लिखी थी. राहुल ने चिठ्ठी को सुनाने के बाद फडणवीस का नाम लेते हुए कहा कि वह इसे देख सकते हैं और संघ प्रमुख को भी दिखा सकते हैं. इस चिठ्ठी से पूरी तरह साफ़ होता है कि सावरकर अंग्रेज़ों के मददगार थे.
भाजपा यात्रा को रोकना चाहे तो रोक दे
राहुल गाँधी अपनी यात्रा के दौरान सावरकर का नाम लेकर भाजपा पर हमला करते रहे हैं, भाजपा और उनकी सहयोगी शिवसेना शिंदे गुट ने मांग की थी कि महाराष्ट्र में भारत जोड़ो को रोक दिया जाय. राहुल गाँधी ने इस मांग पर पूछे गए सवाल पर कहा कि महाराष्ट्र सरकार अगर उनकी यात्रा को रोकना चाहती है रोक दे. राहुल ने पत्रकार वार्ता में आगे कहा कि गांधी, नेहरु, पटेल सभी जेल में रहे लेकिन किसी ने भी सावरकर की तरह ऐसी चिट्ठी पर साइन नहीं किये. राहुल ने कहा कि यात्रा को इजाज़त देना सरकार का काम है. राहुल ने कहा कि अगर भाजपा नेताओं को लगता है कि भारत जोड़ो यात्रा से देश को नुकसान हो रहा है तो रोक दो यात्रा को. राहुल ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा की राजनीति में बड़ा अंतर यही है, भाजपा ज़बान पर लगाम लगाना जानती है और कांग्रेस बोलने की आज़ादी देती है.
भारत जोड़ो यात्रा उद्देश्य स्वार्थसिद्धि नहीं
राहुल ने कहा भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य स्वार्थसिद्धि नहीं है. इसके पीछे कोई चुनावी फायदा उठाने का मकसद नहीं है. कांग्रेस ने देश में पनप रही नफरत की सियासत से छुटकारा पाने का लोगों को एक रास्ता दिखाया है. इस यात्रा का मकसद यही है कि तोड़ने से नहीं जोड़ने देश मज़बूत होता है. महात्मा गाँधी की नक़ल करने के सवाल पर राहुल गाँधी ने अपने जवाब में कहा कि महात्मा गाँधी ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, लेकिन मेरी यात्रा पिछले आठ सालों से देश में डर का माहौल पैदा होने की वजह से शुरू हुई है. बीजेपी आज देश के हर इंस्टीट्यूशंस पर प्रहार कर रही है, न्यायपालिका को दबाव में लिया जा रहा है, पार्लियामेंट में किसी मुद्दे को सुना नहीं जा रहा है.