अमित बिश्नोई
कल सदन में नेता विपक्ष राहुल गाँधी का एक नया अंदाज़ दिखा। बातें पुरानी मगर उन्हें पेश करने का ढंग बिलकुल नया. जातिगत जनगणना का मुद्दा हो या फिर अम्बानी और अडानी का नया नामकरण। लॉन्ग टर्म गेन टैक्स हटाने की बात हो या फिर शार्ट टर्म गेन टैक्स बढ़ाने की बात या फिर इंडेक्सेशन ख़त्म करने का मामला। ये सब बातें बजट को लेकर थीं और सरकार को चुनौती देने वाली मगर इन सबको पेश करने का उनका ढंग ऐसा था जिसके बारे में भाजपा ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा। राहुल गाँधी ने जिस तरह महाभारत के एक प्रसंग को सामने रखा और जिस तरह उस समय के चक्रव्यूह की घटना को आज के समय के चक्रव्यूह से तुलना की, वो वाकई बहुत ज़ोरदार और सामने वाले को पानी पानी करने वाली थी. नेता विपक्ष के रूप में राहुल गाँधी का ये दूसरा भाषण था और दोनों ही भाषणों में कल के राहुल और आज के राहुल में ज़मीन आसमान का अंतर देखा जा सकता है.
क्या किसी ने सोचा होगा कि बजट की एक ऐसी परंपरा को राहुल गाँधी अपना हथियार बनाकर अपने सबसे बड़े मुद्दे सामाजिक समानता या जातिगत जनगणना को देश के सामने न सिर्फ पेश करेंगे बल्कि सरकार को घेरेंगे भी. एक तस्वीर, एक परंपरा यानि हलवा सेरेमोनी की फोटो को राहुल गाँधी राजनीतिक तौर पर इस तरह भी पेश कर सकते हैं, NDA सरकार के शानोगुमान में नहीं होगा और यही वजह थी कि जब राहुल गाँधी हलवा सेरेमनी की फोटो के सहारे सामाजिक गैरबराबरी की बात कर रहे थे तब सदन में मौजूद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपना माथा पकडे हुए थी, सोच रही होंगी कि एक फोटो के सहारे राहुल गाँधी बात को कहाँ से कहाँ तक लेकर गए. राहुल ने इस मौके को भी नहीं छोड़ा और उनकी मुस्कराहट और उनकी हंसी पर भी उन्हें फ़ौरन घेर लिया कि ये कोई हंसने की बात नहीं, ये बड़ी गंभीर बात है. जातिगत जनगणना देश के लिए बहुत ज़रूरी है और ये कोई हंसी का विषय नहीं है।
दरअसल बजट से पहले होने वाली हलवा सेरेमनी एक परंपरा है. जो अधिकारी बजट तैयार करते हैं वो सब इस हलवा सेरेमनी में शामिल होते है। ये हलवा वहीँ पर बनाया जाता और वित्त मंत्री उस हलवे को वहां मौजूद सबको बांटती हैं। इस बार भी वही सबकुछ हुआ और उस आयोजन की तस्वीर भी वित्तमंत्रालय ने जारी की जिसमें निर्मला सीता रमन अधिकारीयों के साथ उस हलवा सेरेमनी में शामिल नज़र आ रही हैं। ये तस्वीर कई दिन पहले जारी हुई और एक सामान्य परंपरा मानकर इसपर कोई चर्चा नहीं हुई लेकिन नेता विपक्ष ने इसी सामान्य सी तस्वीर को एक राजनीतिक हथियार बनाकर सरकार पर हलवे से हमला कर दिया। राहुल गाँधी को सदन में भले ही उस तस्वीर को दिखाने से रोका गया लेकिन रोकने से पहले राहुल उस तस्वीर को दिखा चुके थे और फिर उन्होंने उसी तस्वीर के सहारे सरकार को घेरा। राहुल ने सवाल उठाया कि इस तस्वीर में 20 लोग हैं जिनमें एक अल्पसंख्यक और एक OBC समाज से है और बाकी लोग जो हलवा बना रहे हैं और बाँट रहे हैं वो देश की 73 प्रतिशत आबादी से हैं ही नहीं। जो दो लोग हैं भी उन्हें भी तस्वीर में आने नहीं दिया गया. राहुल गाँधी ने एक अप्रासंगिक तस्वीर को प्रासंगिक बनाकर अपने पुराने जातिगत जनगणना के मुद्दे को पूरे देश के सामने नए रंग में पेश कर दिया और सरकार हैरानी से देखती रही, कुछ नहीं कर पाई.
अंबानी, अडानी के मुद्दे पर राहुल आज कल फिर संसद में भारी पड़े. स्पीकर बिरला की टोकाटाकी पर राहुल गाँधी जिस तरह सीधे उनसे भिड़े और फिर देश के दो सबसे बड़े उद्योगपतियों का उन्होंने जिस तरह A 1 और A 2 के रूप में नया नामकरण किया और फिर जिस तरह उन्होंने चक्रव्यूह प्रसंग में भाजपा, पीएम मोदी, अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और NSA अजीत डोभाल के साथ अम्बानी और अडानी को शामिल किया वो वाकई कबीले तारीफ़ था जिसकी कोई काट सत्ता पक्ष के पास नहीं थी और न ही स्पीकर ओम बिरला के पास कि वो राहुल गाँधी को रोक पाते। कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत काल के चक्रव्यूह प्रसंग को राहुल गाँधी ने एक नया रूप दिया और कहा कि चक्रव्यूह का दूसरा नाम पद्मव्यूह भी है क्योंकि चक्रव्यूह की रचना कमल के शेप में की जाती है. राहुल ने कहा कि 21 सदी में भी एक चक्रव्यूह तैयार हुआ है और ये भी लोटस शेप में है और जिसका चिन्ह प्रधानमंत्री मोदी अपने सीने पर लगाकर चलते हैं. उस चक्रव्यूह में जिस तरह अभिमन्यु को फंसाया गया था वही आज के चक्रव्यूह में हिन्दुस्तान की जनता के साथ किया गया है. राहुल ने कहा महाभारत वाले चक्रव्यूह में अभिमन्यु को जिन लोगों ने मारा था उनके नाम द्रोणाचार्य, कर्ण, कृपाचार्य, कृतवर्मा, अश्वत्थामा और शकुनि थे. राहुल ने कहा चक्रव्यूह को पहले भी 6 लोगों ने कण्ट्रोल किया था और आज भी 6 लोग कंट्रोल कर रहे है और ये 6 लोग पीएम मोदी, अमित शाह, मोहन भागवत, अजित डोभाल, अम्बानी और अडानी हैं. राहुल गाँधी सिर्फ यहीं नहीं रुके और सरकार को ये साफ़ कर दिया कि चक्रव्यूह बनाने वाले ग़लतफ़हमी में न रहें क्योंकि देश के युवा अभिमन्यु नहीं अर्जुन हैं जिन्हें चक्रव्यूह तोडना आता है और वो इस चक्रव्यूह को तोड़ देंगे। राहुल गाँधी के इस भाषण के बाद अब लोगों को इंतज़ार है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने बजट भाषण में नेता विपक्ष के हमलों का किस तरह जवाब देते हैं, फिलहाल राहुल के हलुवा अटैक की चारों तरफ चर्चा है.