मायावती ने शुरू किया नये फार्मूले पर काम, ब्राम्हणों से बना रही दूरियां
यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा ने मुँह की खायी है, जिसके बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती पार्टी को नये सिरे से तैयार करने में जुटी हुई हैं। दूसरी ओर बसपा अभी तक दलित-ब्राम्हण गठजोड़ वाली पार्टी मानी जाती रही है, लेकिन अब मायावती ब्राम्हणों से दूरी बनाती नजर आ रही हैं, वहीं कभी एक वक्त था जब इसी फॉर्मूले से सन 2007 में सत्ता में आयी थी।
ऐसे में सवालों का उठना लाजिमी है, कि ब्राम्हणों को साथ लेकर चलने वाली बसपा का अब मोह भंग हो चुका है ब्राम्हणों से? या फिर बसपा सुप्रीमो नयी रणनीति पर काम कर रहीं हैं जिससे वह मिशन-2024 को फतह कर सकें!
दूसरी ओर बसपा के ब्राम्हणों से दूर होने को देखें तो वह ऐसे समझ आता है, इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूरे अभियान की बागडोर सतीश मिश्रा संभाल रहे थे, जहाँ उनका पूरा परिवार चुनाव के प्रचार में था। दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के आये नतीजों ने मायावती को काफी निराश किया, जिसके बाद उन्होंने ब्राम्हणों से दूरियां बनानी शुरू कर दी यहाँ तक कि अपने सबसे करीबी सतीश मिश्रा से भी वह दूर चल रही हैं। दूसरी ओर इसी बीच सतीश मिश्रा के करीबी नकुल दुबे पार्टी से बाहर कर दिये गये जिसके बाद वह कांग्रेस में चले गये।
इसी के साथ एमसीडी और गुजरात चुनाव से भी सतीश मिश्रा को दूर रखा जा रहा है, जहाँ स्टार प्रचारकों की आयी लिस्ट में उनका नाम गायब है। वहीं अब मायावती सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को छोड़कर अपने पुराने ट्रैक पर आ गयी हैं, क्योंकि इस बार का मुसलमान वोट भी बसपा को न मिलकर सपा को गया है। अब मायावती दलित और मुसलमान गठजोड़ बनाने की तैयारी में है, जिसके लिये वह ब्राम्हणों को दूर करने में जुटी हैं। वहीं अभी दिल्ली एमसीडी चुनाव के लिये जारी स्टार प्रचारकों में एक भी ब्राह्मण चेहरा नहीं है।