पटना। बिहार में एक बार फिर जदयू की महागठबंधन से दोस्ती हो गई है। नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री बने हैं। अधिक सीटें होने के बाद भी राजद नेता तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद पर संतोष किया है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन इन सभी दलों को साथ लेकर चलना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है। वर्ष 2017 में जिन कारणों से नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा वो आज भी हैं। उस दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे मामले अभी खत्म नहीं हुए हैं।
सवाल है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी मिलकर कितने दिन सरकार चला पाएंगे। महागठबंधन का 2024 के लोस और उसके बाद 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या होगा। राजनैतिक पंडित इन सभी का आंकलन कर रहे हैं। लालू परिवार के कई सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव खुद भी इस वक्त सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती और बेटे तेजस्वी यादव पर भी भ्रष्टाचार के मामले चल ही रहे हैं। तेजस्वी पर लगे आरोपों के बाद 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया था। सरकार में राजद का दखल पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा ही अधिक होगा। इससे निपटना नीतीश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। राजद, कांग्रेस और जदयू कार्यकर्ताओं के बीच काफी मतभेद हैं। सरकार चलाने के लिए महागठबंधन के दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय बनाना नीतीश कुमार और तेजस्वी के लिए चुनौती होगी।
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2017 में जिन परिस्थितियों में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए वो सभी को मालूम है। तब के और आज के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ। हां, राजद पहले के मुकाबले अब अधिक मजबूत हुई है। ऐसे में जाहिर है कि मुख्यमंत्री भले नीतीश कुमार रहेंगे। लेकिन फैसला तेजस्वी यादव ही करेंगे। शपथ ग्रहण करने के बाद तेजस्वी ने नीतीश कुमार के पैर छूकर यह जताने की कोशिश की है कि नीतीश बड़े हैं वह उनका सम्मान करते हैं। राजनीति में इस तरह की तस्वीरें आम होती हैं। यूपी चुनाव में अखिलेश यादव ने मायावती के पैर छूए थे। बाद में क्या हुआ सब ने देखा।