नेताओं का कभी कभी चुनावी उवाच बहुत भारी पड़ जाता है, चुनावी जोश में अक्सर ऐसी बातें कह जाते हैं जिन्हें साबित करना या फिर उनसे छुटकारा पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. आज ही समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता को अपना बड़बोलापन बहुत भारी पड़ गया और भड़काऊ भाषण देने के मामले में उन्हें रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुना दी, अब उनकी विधायकी भी जा सकती है. वहीँ आज निर्वाचन आयोग ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को एक नोटिस जारी कर सबूतों की मांग की है.
दरअसल अखिलेश यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दावा किया था कि चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले यादव और मुस्लिम समुदायों के लगभग 20,000 मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटा दिए थे। अब चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को चुनावी मंचों पर उनके लगाए गए इन आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पेश करने को कहा है। आयोग ने अपनी नोटिस में अखिलेश यादव को 10 नवंबर 2022 तक विवरण प्रस्तुत करने को कहा है।
कथित अनियमितताओं के सवाल पर अखिलेश यादव ने दावा किया था कि जब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भाजपा से आगे चल रहे थे तब हर बार भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में ‘परिणाम’ घोषित किए गए थे, राज्य में कई जगहों पर मतों की गिनती रोक दी गई थी या धीमी कर दी गयी थी जहाँ सपा उम्मीदवार आगे चल रहे थे। अखिलेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी (दक्षिण) के निर्वाचन क्षेत्र हवाला भी दिया था।