नई दिल्ली। कभी देश की सबसे पुरानी पार्टी कहीे जाने वाली कांग्रेस के सामने अब एक के बाद एक कई परेशानियां सामने आती जा रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस के गांधी परिवार पर ईडी का शिकंजा कसा हुआ है। वहीं दूसरी ओर अब कांग्रेस पर आर्थिक संकट भी शुरू हो गया है। एक तो पहले से ही कांग्रेस के सामने सत्ता का संकट, नेताओं द्वारा पार्टी छोडऩे का संकट और नेतृत्व का संकट छाया हुआ है। अब इसी सब संकटों के साथ कांग्रेस पार्टी आर्थिक संकटों से भी घिरती जा रही है।
Also read: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से आज लगातार तीसरे दिन भी ईडी करेगी पूछताछ
बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस समय बड़े पैमाने पर आर्थिक कमी से जूझ रही है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पार्टी आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के रास्ते पर चलने की तैयारी कर रही है। चुनाव आयोग में कांग्रेस की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी की वार्षिक आय 2020-21 में 58 प्रतिशत से कम हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस फंड की कमी का सामना कर रही है। इस कमी को दूर करने के लिए पार्टी वामदलों का केरल माडल अपनाने पर विचार कर रही है।
ये है केरल मॉडल :
वामदल का केरल मॉडल क्या है यह जानने की जरूरत होगी। इसके लिए वाम दल घर’घर अभियान चलाता है। जिसमें हर घर से घन जुटाया जाता है। इसके लिए किसी पर जोर जबरदस्ती नहीं की जाती । जो भी स्वेच्छा से धन दे सकता है उससे ले लिया जाता है। इसी के साथ धन देने वालों को इसके बदले में पर्ची दी जाती है। जानकारों की माने तो कुछ दिनों पहले उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के चिंतन शिविर में सीपीआई एम मॉडल को लेकर गहन मंथन हुआ था। वहीं ये भी चर्चा का विषय रहा कि पार्टी को मुख्यधारा में लाने के लिए अब अधिक धन की जरूरत होगी। बताया जाता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के पास धन का आभाव है। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पार्टी चुनाव से पहले ही सीपीएम मॉडल को लागू करेगी। इसके लिए इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
Also read: कांग्रेसियों का ईडी आफिस के सामने प्रदर्शन सड़क पर जलाए टायर
चुनाव आयोग में कांग्रेस द्वारा दाखिल की गई ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 में पार्टी की आय 285.7 करोड़ रुपये बताई गई है। जबकि इससे पहले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 682.2 करोड़ रुपये का था। वित्तीय वर्ष 2018-19 में कांग्रेस की आय 918 करोड़ रुपये थी। बताया जाता है कि पार्टी के आर्थिक रणनीतिकार अहमद पटेल के निधन के बाद से पार्टी पर आर्थिक मार पड़ी है। अहमद पटेल अपने कॉर्पोरेट और अन्य स्रोत से कांग्रेस के लिए फंडिंग का काम संभालते थे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी पार्टी के लिए आर्थिक स्रोत से रूपये एकत्र करते थे। लेकिन जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है उसकेे बाद से कांग्रेस की आय में काफी कमी आई है।