अमित बिश्नोई
भाजपा को या फिर कहिये मोदी जी को केंद्र की सत्ता में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का एक इंटरव्यू कल से चर्चा का विषय बना हुआ है. इस इंटरव्यू में प्रशांत किशोर एक तरफ भाजपा की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ राहुल गाँधी को बिन मांगे सलाह दे रहे हैं कि इस बार अगर कांग्रेस नहीं जीती तो राहुल गाँधी को राजनीति से ब्रेक ले लेना चाहिए। प्रशांत किशोर का ये इंटरव्यू को आज मेनस्ट्रीम मीडिया जिसे आजकल गोदी मीडिया कहा जाता है, हर जगह प्राथमिकता से जगह मिली है. प्रशांत किशोर के किसी भी इंटरव्यू को शायद ही कभी मीडिया में इतनी प्रमुखता से जगह मिली होगी।
प्रशांत किशोर के इस इंटरव्यू को अगर आप पूरा सुनेंगे तो पाएंगे कि पीके जो कह रहे हैं वो कांग्रेस की भलाई के लिए कह रहे हैं क्योंकि इस इंटरव्यू को उन्होंने अपनी बातों से कई जगह बैलेंस करने की कोशिश की है. जैसे कि प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी को हराना मुमकिन है. दूसरी बात ये कि भाजपा को 300 या उससे अधिक सीटें तो मिलेंगी लेकिन 370 का अपना लक्ष्य वो नहीं छू पायेगी। अगर इन दो बातों को छोड़ दें तो उन्होंने इंडिया गठबंधन को सिर्फ हतोत्साहित ही किया है. विशेषकर राहुल गाँधी को. पीके का ये कहना कि राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी को न खुद आगे ले जा पा रहे हैं और न ही वो किसी और को मौका दे रहे हैं, पीके ने इसे अलोकतांत्रिक बात बताया।
प्रशांत किशोर राहुल गाँधी को राजनीती से ब्रेक लेने की सलाह देते हुए कहते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं है, वो सोनिया गाँधी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि उनकी माँ ने भी ऐसा ही किया था और नरसिम्हा राव को ज़िम्मेदारी दे दी थी. पीके इशारों में राहुल गाँधी को एक ख़राब नेता कहते हैं, पीके का कहना है कि दुनिया के सभी अच्छे नेता अपनी कमी को पहचानते हैं लेकिन राहुल गाँधी खुद को सर्वज्ञानी मानते हैं और उन्हें लगता है कि उनके पास हर समस्या का हल है. वो सिर्फ उस व्यक्ति की तलाश में हैं जो उनकी बातों को सही माने और उन्हें क्रियान्वित कर सके और ऐसा संभव ही नहीं है. पीके राहुल गाँधी को ही कांग्रेस की दुर्दशा का ज़िम्मेदार मानते हैं और कहते हैं कि उनके बिना वहां पत्ता भी नहीं हिलता। प्रशांत किशोर राहुल गाँधी के उन आरोप को सिर्फ आंशिक रूप से सही मानते हैं जिनमें वो चुनाव आयोग, ED, सीबीआई, मीडिया, न्यायपालिका द्वारा कांग्रेस पार्टी की हार के लिए गढ़े गए नैरेटिव को ज़िम्मेदार मानते हैं. प्रशांत किशोर के मुताबिक ये सिर्फ एक बहाना हो सकता है, ये सारी बातें किसी नेशनल पार्टी को 206 सीटों से 44 सीटों पर नहीं ला सकती।
अब सवाल प्रशांत किशोर के इस इंटरव्यू को टाइमिंग पर आता है, राजनीती में सारा खेल टाइमिंग का है और सभी जानते हैं कि मोदी जी और भाजपा टाइमिंग के मास्टर हैं। प्रशांत किशोर जो इस इंटरव्यू से पहले ये कहते रहे हैं कि उन्होंने ये काम अब छोड़ दिया है. लेकिन इस इंटरव्यू में राज्यवार पूरा ब्यौरा पेश करते हैं और बताते हैं कि भाजपा को कहाँ कहाँ फायदा हो रहा है। वो उनके राज्यों में भाजपा को पहले नंबर की पार्टी बनते हुए देख रहे हैं जहाँ इससे पहले कोई ख़ास प्रभाव नहीं था. अचानक प्रशांत किशोर का फिर से सैफोलॉजिस्ट बनना भी एक सवाल खड़ा करता है. ये सभी जानते हैं कि मोदी जी की राह का अगर कोई भी एक रोड़ा है तो वो राहुल गाँधी ही हैं, ऐसे में वो राहुल गाँधी को राजनीति से दूर जाने की सलाह क्यों दे रहे हैं. अब पता नहीं ये पीके ने अपने दिल की बात रखी है या फिर ये एक रणनीति के तहत इंटरव्यू सामने आया है। पीके ने कई सालों से सैफोलोजी छोड़ दी है और सक्रीय राजनीती में उतर गए हैं लेकिन चुनावी रणनीति बनाने का मास्टर राजनीती में अबतक बुरी तरह फेल नज़र आया है. उनकी कई बातों में साफ़ विरोधाभास नज़र आता है, बिहार में नितीश कुमार का सफाया होने की बात करने वाले पीके कैसे कह रहे हैं कि बिहार में NDA पिछली परफॉरमेंस दोहराएगी, अगर ऐसा होगा तो उनकी नितीश के सफाये वाली बात सिरे गलत साबित होगी। प्रशांत किशोर एक बहुत सफल चुनावी रणनीतिकार रहे हैं उनका स्ट्राइक रेट भी काफी अच्छा रहा है और इसलिए लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते भी हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी और राहुल लेकर उनकी ये बातें अचानक मुंह से निकलने वाली बातें तो नहीं हो सकती हैं, कुछ न कुछ तो परदे के पीछे हो रहा है?