एक वर्ष से ज्यादा समय से देश में पेट्रोल-डीजल के भाव में कोई बदलाव नहीं देखा गया है, लेकिन अब खबर मिल रही कि सरकार बदलाव की तैयारी कर रही है, कहा जा रहा है कि सस्ते कच्चे तेल का फायदा आम लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार और तेल कम्पनियाँ विचार कर रही हैं। वैसे इस समय पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम करने के लिए मौका भी है और दस्तूर भी है. मौका है कुछ ही महीनों बाद लोक सभा चुनाव का और चुनावी मौसम में महंगाई से राहत तो जनता को मिलती ही है. ये तो कच्चे तेल के सस्ते होने का सिर्फ बहाना है वर्ना कच्चे तेल के दाम तो महीनों से काफी नीचे हैं.
बताया जा रहा है कि तेल कंपनियों को पेट्रोल पर 8 से 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3 से 4 रुपये प्रति लीटर तक का मुनाफा हो रहा है। पिछली तीन तिमाही से तेल कंपनियां बंपर मुनाफा पीट रही रही है। तीनों सरकारी कंपनियों आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल ने मिलकर पिछले तिमाही में 28,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा दर्ज किया है। सरकार कह रही है ये मुनाफा पहले के घाटे की भरपाई है. सरकार का तर्क है कि अब पहले के घाटे की भरपाई हो गयी है इसलिए अब मुनाफे को आम लोगों में बांटने यानि दाम कम करने की कवायद चल रही है.
बता दें कि कच्चे तेल का दाम इस समय साल के निचले स्तर के आसपास चल रहे हैं। ब्रेंट क्रूड 76 डॉलर प्रति बैरल और WTI क्रूड 71 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। इस हफ्ते कच्चे तेल में बड़ी गिरावट हुई है और उसका प्रमुख कारण वैश्विक स्तर पर कम मांग को बताया जा रहा है। दूसरी तरफ तेल उत्पादक देशों की ओर से क्रूड आयल कीमत बढ़ाने के लिए लगातार की जा रही उत्पादन में कटौती का भी कच्चे तेल की कीमतों पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है, इसलिए कहा जा रहा है कि कच्चे तेल का दाम आने वाले समय में और भी कम रह सकता है।