चुनाव आयोग ने कल अपने निर्देश में कहा कि राजनीतिक पार्टियां धार्मिक मामलों और अग्निवीर जैसे रक्षा मामलों का राजनीतिकरण न करें। चुनाव आयोग ने कांग्रेस प्रचारकों और उम्मीदवारों से कहा कि वो अग्निवीर योजना पर बोलते हुए सावधानी बरतें। हैरानी इस बात की है चुनाव आयोग को इस बात की समझ पांच चरणों का मतदान हो जाने के बाद आयी है कि अग्निवीर योजना पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को नहीं बोलना चाहिए। वहीँ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने चुनाव आयोग के निर्देश को गलत ठहराते हुए कहा कि उन्हें अग्निवीर योजना पर बोलने का पूरा अधिकार है, ये योजना मोदी सरकार की है और सरकार की हर योजना की आलोचना करने और उसका विरोध करने का विपक्ष के पास पूरा अधिकार है.
चिदंबरम में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि चुनाव आयोग ने अग्निवीर योजना का राजनीतिकरण न करने का आदेश देकर गलत किया है. चिदंबरम ने चुनाव आयोग से पूछा कि उनका राजनीतिकरण करने की बात का क्या मतलब है, क्या उनका मतलब आलोचना से है. चिदंबरम ने आगे कहा कि अग्निवीर योजना मोदी सरकार लेकर आयी थी, अग्निवीर योजना मोदी सरकार की नीतियों का नतीजा है. तो क्या चुनाव आयोग चाहता है कि राजनीतिक पार्टियां सरकार की नीतियों की आलोचना न करें, क्या उसे ये कहने का अधिकार नहीं है कि ये योजना गलत है और अगर वो सत्ता में आयी तो इस योजना को ख़त्म कर दिया जायेगा.
चिदंबरम ने कहा कि अग्निवीर योजना को सरकार ने सेना पर थोपा है। इसलिए इस योजना को खत्म किया जाना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि अग्निवीर योजना सैनिकों की दो श्रेणियां बनाती है. चिदंबरम ने पूछा कि क्या यह गलत है अग्निवीर एक युवक को चार साल के लिए नौकरी पर रखता है और फिर बिना किसी नौकरी और पेंशन के बाहर निकाल दिया जाता है. इसका विरोध करना गलत बात है क्या? चुनाव आयोग का ये निर्देश सरासर गलत है.