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कभी फुटपाथ पर बेचते थे साड़ी ,आज चांद बिहारी है करोड़ो के मालिक

बिज़नेसकभी फुटपाथ पर बेचते थे साड़ी ,आज चांद बिहारी है करोड़ो के...

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बहुत कम लोग होते हैं जो जीरो से शुरुआत करके जिंदगी जीतने का हुनर जानते हैं। ऐसी ही एक कहानी आज हम आपको बता रहे हैं। उनकी कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। ये कहानी उस चांद बिहारी की है, जो कभी जयपुर की पगडंडी पर पकौड़े बेचा करता था। पटना रेलवे स्टेशन पर 12-14 घंटे खड़े रहकर साड़ियां बेचीं। आज वह चांद बिहारी अग्रवाल पटना का सबसे बड़ा जौहरी है।

आखिर कौन हैं चांद बिहारी

कभी परिवार का पेट पालने के लिए अपनी मां और भाई के साथ जयपुर की पगडंडियों पर पकौड़े बेचने वाला चांद बिहारी अब पटना का जाना-माना जौहरी है। उनका सालाना टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। गरीबी में बचपन बिताने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज करोड़ों के बिजनेस के मालिक हैं। इसकी कहानी जयपुर से शुरू हुई।

वह पांच भाई-बहनों के साथ जयपुर में पले-बढ़े। पिता को जुए की लत थी। घर की माली हालत खराब हो गई। बच्चों का पेट भरने के लिए मां ने जयपुर में फुटपाथ पर पकौड़े बेचना शुरू किया। चाँद और उसका भाई रतन अपनी माँ की मदद किया करते थे। चिलचिलाती गर्मी में पकौड़े से होने वाली कमाई से परिवार का भरण-पोषण करता था।

पटना स्टेशन से की शुरुआत

घर के हालात ऐसे थे कि वह स्कूल भी नहीं जा पाते थे। साल 1966 में जब चांद बिहारी महज 10 साल के थे, तब मजबूरी में उन्हें अपनी मां के साथ पकौड़े बचने पड़े। साल 1972 में उनके बड़े भाई रतन की शादी बिहार में हुई। उन्हें शादी के उपहार के रूप में 5000 रुपये मिले, जिससे उन्होंने जयपुर में चंदौरी की 18 साड़ियाँ खरीदीं और उन्हें पटना ले गईं।

वहां उन्होंने जब सैंपल दिखाया तो लोगों को खूब पसंद आया. उन्होंने जयपुर से पटना में साड़ियां बेचने का काम शुरू किया। काम बढ़ने लगा तो उसने अपने भाई चांद को भी बुला लिया। चांद पटना रेलवे स्टेशन पर साड़ियां बेचने का काम करता था। कुछ सालों तक उन्होंने उसी पटना रेलवे स्टेशन के पास फुटपाथ पर अपनी खुद की साड़ी की दुकान शुरू की।

ऐसे शुरू हुआ ज्वैलरी का बिजनेस

राजस्थानी साड़ियों का काम शुरू हुआ। कमाए गए लाभ से उन्होंने वर्ष 1977 में पटना के कदमकुआं में अपनी दुकान खोल ली। कुछ ही महीने हुए थे कि उनकी दुकान में सेंध लग गई और सारा कारोबार चौपट हो गया। हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने भाई की मदद से उन्होंने ज्वैलरी के बिजनेस में हाथ आजमाया। भाई ने 5 हजार रुपये दिए और पटना में जेम्स एंड ज्वेलरी की दुकान खोल ली। उनका धंधा चल पड़ा।

फिर उन्होंने सोने-चांदी से ज्वेलरी की दुकान शुरू की। अपनी खूबी और भरोसे के दम पर उन्होंने अपना कारोबार जमा लिया है। आज उनकी छोटी सी दुकान एक कंपनी बन गई है। साल 1988 में उन्होंने 10 लाख कमाए। साल 2016 में उनका टर्नओवर करीब 17 करोड़ रुपए था। आज ये 20 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर रहे हैं।

उनका नाम बिहार-यूपी के दिग्गज ज्वैलर्स में शामिल है। पटना समेत आसपास के इलाकों में उनका काफी नाम है। सिंगापुर में ऑल इंडिया बिजनेस एंड कम्युनिटी फाउंडेशन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। चांद बिहारी का कारोबार अब बेटे पंकज संभाल रहे हैं। चंद अपने संघर्ष के दिनों को नहीं भूले हैं। करोड़ों के मालिक होने के बावजूद उन्होंने अपनी लाइफ बहुत सिंपल रखी है।

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