Supreme Court नए संसद भवन का उद्धाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई, ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं’
संसद भवन की नई इमारत के उद्घाटन को लेकर जारी विवाद से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका खारिज हो गई है। इस जनहित याचिका पर विपक्षी दल और सरकार समर्थित दलों की निगाहें कल गुरुवार से ही लगी हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई। अदालत ने पूछा कि जनहित याचिका से किसका हित होगा? इस पर याचिकाकर्ता कोई सटीक जवाब नहीं दे पाए। याचिका में शीर्ष अदालत से नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की थी। याचिका में कहा था कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय के संविधान का उल्लंघन है।
किसने दायर की याचिका?
सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन की तरफ से यह जनहित याचिका दाखिल की थी। दायर याचिका में कहा गया कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। ऐसे में संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।
ये है विवाद की जड़?
28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर कांग्रेस और कई विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि संसद भवन के नए भवन का उद्धाटन पीएम मोदी के स्थान पर राष्ट्रपति को करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।