नई दिल्ली। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआइ यानी मूत्र मार्ग संक्रमण) बार-बार होने से इसके इलाज के लिए ली जाने वाली एंटीबायोटिक दवा कुछ समय बाद बेअसर हो जाती है। ऐसे में यूटीआई की जटिलता और अधिक बढ़ जाती है। उसका इलाज कठिन हो जाता है। ऐसे में विशेषज्ञों ने अब एक नई आस जगाई है। नए और पुराने इलाज के तुलनात्मक अध्ययन में दवाओं का नया संयोजन बनाया है। जो ऐसी स्थितियों में अधिक कारगर साबित होगा। फेज 3 के क्लीनिकल ट्रायल में बताया कि सेफेपाइम और एनमेटाजोबैक्टम का कांबिनेशन जटिल यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के इलाज में ज्यादा प्रभावकारी रहा है। एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस में पिपेरसिलिन और टैजोबैक्टम के संयोजन के मानक उपचार की तुलना अधिक असरकारी रहा। एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस-एक बैक्टीरियल संक्रमण है और इसके कारण रोगी के किडनी में सूजन या जलन होती है।
यूटीआई को उस स्थिति में अधिक जटिल मानते हैं जब वह जोखिम वाले कारकों से जुड़ा होता है। जिसमें बुखार, पेशाब करने में परेशानी,सेप्सिस या कैथेटर इत्यादी शामिल हैं। ये एंटीबायोटिक इलाज के विफल होने के खतरे को बढ़ा देते हैं। नया एंटीबायोटिक मानक उपचार से बेहतर है। यह इलाज का एक बेहतर विकल्प प्रस्तुत करता है।
दवा का संयोजन खतरनाक श्रेणी की बैक्टीरियल बीमारी,जिसे एक्सटेंडेड स्पेक्ट्रम बीटा-लैक्टामेज (ईएसबीएल) संक्रमण भी कहते हैं। उसके खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। ईएसबीएल बनाने वाले बैक्टीरिया कई एंटीबायोटिक से नहीं मरते और ये जटिलताएं पैदा करते रहते हैं। इन दवा में पेनिसिलिन और सेफलोस्पोरिन शामिल हैं। जो दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया ईएसबीएल पर असरकारक हो और यह नया संयोजन मिल गया है जो बहुत ही प्रभावी है।
इस दवा ट्रायल यूरोप, उत्तरी और मध्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका में सितंबर 2018 से लेकर नवंबर 2019 तक करीब 90 जगहों पर किया है। जिसमें करीब एक हजार से अधिक रोगियों को शामिल किया। इनमें से 79 फीसद रोगियों को सेफेपाइम और एनमेटाजोबैक्टम के नए संयोजन से इलाज पूरी तरह से सफल रहा है। उल्लेखनीय है कि हर साल एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधी संक्रमण से 50 लाख से अधिक लोग पीड़ित होते हैं। इनमें करीब एक लाख से अधिक रोगियों की मौत हो जाती है। ईएसबीएल मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है।