अमित बिश्नोई
नायब सिंह सैनी तो बहुत बड़े भविष्यवक्ता बन निकले, जो कोई भी न देख सका वो उन्हें पहले ही दिख गया और उन्होंने बड़े ही विश्वास से नतीजों से एक दिन पहले ही भविष्यवाणी कर दी कि कल नतीजों के दिन EVM मशीनों से दनादन भाजपा के पक्ष में वोट निकलेंगे और कांग्रेस वाले EVM मशीनों को कोसते हुए नज़र आएंगे, उनकी कही हुई एक एक बात अक्षरशः आज सही साबित हुई क्योंकि आज वाकई EVM से दनादन भाजपा के लिए वोट निकल रहे थे और कांग्रेस पार्टी चुनाव आयोग से तमाम तरह की शिकायतें कर रही थी जिसमें EVM में गड़बड़ी का आरोप भी था. कल जब नायब सिंह सैनी ने ये बात कही कि सारी तैयारी हो चुकी है और भाजपा तीसरी बार हरियाणा में सरकार बना रही है तब किसी को भी उनकी बात पर यकीन नहीं आया. सैनी के बयान को एक हारे हुए खिलाड़ी का बयान मानकर अधिकांश लोगों ने ख़ारिज कर दिया क्योंकि कोई भी हरियाणा में भाजपा की जीत की बात नहीं कह रहा था, कुछ लोगों ने उनके बयान को ज़रूर दूसरी तरह पेश किया और कहा कि भाजपा ने मतगणना से पहले ही खेला कर दिया है इसीलिए सैनी इतने विशवास के साथ भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन किसी को क्या मालूम था कि उनका दावा इतना सटीक साबित होगा।
मतगणना के शुरूआती डेढ़ घंटे में जब रुझानों में कांग्रेस की लैंडस्लाइड विक्ट्री दिखाई जा रही थी, कांग्रेस और भाजपा में इतना ज़्यादा मार्जिन नज़र आ रहा था कि टीवी चैनलों के ऐंकरों को भी यकीन नहीं हो रहा था, हालाँकि इन्ही टीवी चैनलों के एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की बड़े बहुमत से सरकार बनाने का अनुमान लगाया गया था लेकिन जब 90 सीटों में बात 75 बनाम 10 हो तो किसी को भी यकीन करना मुश्किल होगा। लेकिन बैलेट पेपरों की गिनती के बाद जब EVM खुलने शुरू हुए तो आधे घंटे में नज़ारा बदला हुआ था. भाजपा तेज़ी से ऊपर चढ़ रही थी और कांग्रेस नीचे आ रही थी, तब भी सभी को यकीन था कि सरकार तो कांग्रेस की ही बनेगी लेकिन दोपहर बाद नक्शा बदल चूका था. कांग्रेस दफ्तरों में जहाँ सुबह जश्न का नज़ारा था, जलेबियाँ बंट रही थीं वो भी फैक्ट्री मेड, वहां अब चिंता झलक रही थी वहीँ भाजपा दफ्तरों में ढोल नगाड़े बजने लगे थे. समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या होगया, ऐसा लगा जैसे अंडे पे हाथी खड़ा हो गया यानि असंभव संभव बन गया.
अब जबकि नायब सिंह सैनी ने सारे पोल्स्टर्स को शर्मिंदा कर दिया, उन्हें मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है, वो सबसे बड़े पोल्स्टर बनकर उभरे हैं जिनकी सटीक भविष्यवाणी ने सवालों के घेरे में घिर रहे मोदी जी को भी बाहर निकलने में कामयाबी दिलाई. दो दिन पहले तक सारे टीवी चैनलों के बैकग्राउंड से गायब कर दिए गए मोदी जी ने नड्डा को रीप्लेस कर दिया और एकबार फिर वो विभिन्न मुद्राओं में नज़र आने लगे. नायब को सिर्फ कुछ महीने पहले खट्टर की जगह मुख्यमंत्री बनाना कामयाब रहा. उत्तराखंड में आज़माया गया फार्मूला हरियाणा में भी कारगर साबित हुआ. हालाँकि ये तो आने वाले दिनों में पता चलेगा कि इस जीत के पीछे सीएम बदलने का फार्मूला था या फिर कांग्रेस के अंदर का भितरघात। कांग्रेस पार्टी में पोस्टमॉर्टेम का दौर शुरू होगा, आरोपों का दौर तो शुरू ही हो चूका है, हुड्डा कह रहे हैं कि पार्टी को धोखा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए वहीँ शैलजा पूछ रही हैं कि आखिर कैसे हारी कांग्रेस। हम तो बहुत कुछ गंवाकर और सबकुछ भुलाकर पार्टी की जीत के लिए जुटे थे, फिर पार्टी की यकीनी जीत हार में कैसे बदली? इसका ज़िम्मेदार कौन है? अब ये तो मल्लिकार्जुन खरगे को देखना है कि इसका ज़िम्मेदार कौन है, किसने राहुल के कहने के बावजूद आम आदमी पार्टी से समझौता नहीं किया, किसने समाजवादी पार्टी को दो सीटें भी देने से मना कर दिया और चुनाव प्रचार से भी दूर रखा, किसने 90 में 72 सीटों पर अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारे, किसने शैलजा की सात सीटें आलकमान पर दबाव डलवाकर हासिल कीं.
नतीजों के बाद अभी तो थकावट का माहौल है, भाजपा को जीत की खुशियों वाली थकावट है तो कांग्रेस को हार की कडुवाहट वाली थकावट है. एक दो दिन के विश्राम के बाद सरकार बनाने की गतिविधियां शुरू होंगी। चूँकि भाजपा को अपने दम पर बहुमत मिला है इसलिए किसी तरह की तोड़फोड़ की भी ज़रुरत नहीं है, जैसा कि पहले इस बात की सम्भावना जताई जा रही थी, इसलिए अगले एक दो दिन आराम होगा और उसके बाद चिंतन मनन. हालाँकि इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास समय नहीं है क्योंकि महाराष्ट्र और झारखण्ड की तैयारी शुरू हो चुकी है. कांग्रेस पार्टी के लिए हरियाणा में हार इन दोनों राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि कांग्रेस पार्टी हरियाणा में अगर जीतकर जाती तो एक नए विशवास और नई बार्गेनिंग पावर के साथ जाती। निश्चित ही हरियाणा की हार ने महाराष्ट्र और झारखण्ड में उसकी बार्गेनिंग पावर को कम किया होगा। उधर नायब सिंह सैनी के नायाब कारनामे से मोदी जी चौड़ी छाती के साथ महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बजायेंगे। भाजपा के लिए तो नायब सिंह एक नायाब हीरा निकले हैं जिन्होंने साढ़े 9 साल की खट्टर सरकार की एंटी इंकम्बेंसी को प्रो इंकम्बेंसी में बदल दिया।