दिल्ली की जामा मस्जिद कमेटी के तालिबानी निर्णय से विवाद खड़ा हो गया है. मस्जिद प्रबंधन समिति ने जामा मस्जिद में अकेली या ग्रुप में आने वाली महीनों के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी है. समिति का मानना है कि इससे नमाज़ियों को काफी दिक्कत आ रही है. वहीँ मस्जिद कमिटी के इस फैसले को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने असंवैधानिक बताया है.
मालीवाल ने कहा, यह ईरान नहीं
दरअसल जामा मस्जिद के मुख्य गेट पर मस्जिद कमिटी की तरफ से एक नोटिस लगी है जिसमें कहा गया है कि जमा मस्जिद के अंदर उन महिलाओं के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी गयी है जिनके साथ कोई मर्द नहीं होगा. फिर वो महिला चाहे अकेली हो या फिर समूह में. इस फैसले पर ऐतराज़ जताते हुए स्वाति मालीवाल ने कहा कि वो इस मामले में मस्जिद प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगेंगी. मालीवाल ने कहा कि यह ईरान नहीं है जहाँ महिलाओं के साथ खुलेआम भेदभाव होता देखकर भी कोई मुंह नहीं खोलता। मालीवाल ने कहा पुरुष की तरह महिलाओं को भी इबादत करने का बराबरी का अधिकार है.
सेल्फीबाज़ महिलाऐं नमाज़ियों को करती हैं परेशान
मामला तूल पकड़ने पर अब जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान का बयान आया है. सबीउल्लाह खान के मुताबिक यह प्रतिबंध सोशल मीडिया के लिए वीडियो शूट करने वाली महिलाओं को रोकने के लिए है क्योंकि इससे नमाज़ियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सबीउल्लाह ने कहा परिवारों या विवाहित जोड़ों या परिवार के साथ आने वाली महिलाओं के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।