नई दिल्ली। सोने में निवेश करने वाले अब गहनों और सिक्कों पर नहीं बल्कि डिजिटल गोल्ड पर अधिक भरोसा कर रहे हैं। इस बार अक्षय तृतीया पर भी लोगों ने सोने के गहनों और सिक्कों की अपेक्षा सोने की डिजिटल खरीद अधिक की है।
अक्षय तृतीया पर देशभर में सोने की खरीदारी हुई। इस दौरान लोगों ने डिजिटल तरीके से सोना खरीदा। डिजिटल गोल्ड खरीदना कई मायनों में फायदेमंद है। इसे रखने के लिए तिजोरी या बैंक लॉकर की जरूरत नहीं होती है। साथ ही, यह एक निवेशक को शुद्धता, भंडारण और सुरक्षा की चिंता से भी मुक्ति दिलाता है।
हालांकि, डिजिटल गोल्ड में निवेश करने को लेकर धोखाधड़ी, बाजार संबंधी जोखिम, खर्च, निवेश की सीमा और टैक्स संबंधी कुछ चुनौतियां भी हैं। ऐसे में भारत जैसे उभरते बाजारों में डिजिटल गोल्ड में निवेश पर लाभ पाने के लिए अवसरों के साथ उन चुनौतियों से भी निपटना जरूरी है।
रिटर्न देने की क्षमता अधिक
भारत की अधिकांश युवा आबादी तकनीकी तौर पर जागरूक हो रही है। वह भौतिक सोने की जगह अब डिजिटल गोल्ड में निवेश कर रही है। यह एसेट क्लास में निवेश के सबसे अच्छे तरीकों में एक है क्योंकि इसमें भौतिक सोने की तुलना में रिटर्न देने की क्षमता अधिक है।
डिजिटल गोल्ड में निवेश से पोर्टफोलियो में विविधता आती है। यह निवेशकों को ब्याज कमाने का मौका देता है। आरबीआई की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना में भी निवेश कर सकते हैं।
विदेशी मुद्रा की बचत
भारत आमतौर पर सोने का आयात करता है। अगर आप डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं तो आयात में कमी आएगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी। डिजिटल गोल्ड को देश के किसी भी हिस्से में बेच सकते हैं। डिजिटल गोल्ड में निवेश को लेकर जागरूकता की व्यापक कमी है। इसके अलावा, देश में लंबे समय से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सूचीबद्ध होने के बावजूद द्वितीयक बाजारों में तरलता भी एक चुनौती है।
भारत जैसे उभरते बाजारों में डिजिटल गोल्ड जैसे नए एसेट क्लास को लेकर पर्याप्त नियमन नहीं है। ऐसे में निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे केवल प्रतिष्ठित डिजिटल गोल्ड मंचों से ही खरीदारी करें और संभावित धोखाधड़ी को लेकर सतर्क रहें। डिजिटल गोल्ड आप जिस वॉलेट में रखते हैं, उसके हैक की आशंका रहती है। वॉलेट का पासवर्ड भूलने का भी खतरा रहता है। जिस कंपनी से डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं, वह दिवालिया या बंद हो गई तो भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।