शिवपुर। कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आए मेहमानों के दिन अब काफी अच्छे से बीत रहे हैं। इन चीतों को 50 नए दोस्त मिलने वाले हैं। कूनो नेशनल पार्क में चंबल अभ्यारण्य से लाकर 50 घड़ियाल छोड़े जाएंगे। डीएफओ स्वरूप दीक्षित ने जानकारी दी है कि मुरैना के देवरी सेंटर से घड़ियालों के बच्चों में से 50 का स्लॉट कूनो नदी में भेजा जाएगा। इसके लिए भोपाल वाइल्डलाइफ से भी स्वीकृति मिल गई है। तीन से भूखे चीतों को परीक्षण के बाद खाने में पहली बार भैंसे का मीट दिया था। इस समय इन चीतों की प्रत्येक गतिविधियों पर नामीबिया के पशु चिकित्सकों ने 24 घंटे नजर रखी और इसी आधार पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया। अभी तक चीतों का आठ बार परीक्षण किया जा चुका है।
कूनो नेशनल पार्क के रेंजर यशबंधु ने जानकारी दी है कि जब से चीतों को कंपार्टमेंट में क्वारेंटाइन किया है, तब से उनके पास कोई नहीं गया। हालांकि बाहर से उनकी गतिविधियां दिखाई दे रही है। उन्होंने तीन-चार बार पानी पीया है कुछ देर बाड़े में टहले भी हैं। उन्हें भैंस का मांस खाने को दिया गया जिसे सभी चीतों ने बडे़ ही इत्मीनान के साथ खाया है। कूनो पार्क निदेशक उत्तम शर्मा ने जानकारी दी कि नामीबिया से भारत आने से पहले चीतों ने भैंस का मांस खाया था। इसलिए उन्हें रविवार को यही भोजन दिया गया है। चीते पूरी तरह से सक्रिय हैं और स्वस्थ भी हैं। अभी 30 दिन तक सभी चीतों को बाड़े में क्वारेंटाइन रखा जाएगा। आठों चीते के नाम ओबान, फ्रेडी, क्रेडी, सवाना, आशा, सिबिली, सैसा और साशा रखे हैं। नए घर में चीतों ने पहला दिन घूमते और आराम करते हुए ही बिताया।
चीतों के आहार के लिए फिलहाल 57 चीतलों को पार्क में छोड़ा जा चुका है। पेंच पार्क को कुल 500 चीतल कूनों पार्क में शिफ्ट करने को कहा गया है। पहले चरण में 57 चीतल (15 नर, 42 मादा) को छोड़ा गया हैं। बताया जा रहा है कि अलग-अलग शिफ्ट में चीतल कूनो में शिफ्ट कर दिए जाएंगे। चीतों के शिकार के लिए चीतल को इलाके में छोड़ा है। पेंच के पशु चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा के मुताबिक चीता बिल्ली प्रजाति में आता है। वह किसी भी शिकार को घेरकर मारता है। चीतों के मनपसंद भोजन में चीतल, हिरण, श्वान और अन्य वन्यजीव हैं। वह तेजी से शिकार को पकड़ता है और उनको मार डालता है।