देश की शीर्ष अदालत ने जबरन धर्मांतरण पर चिंता जताते हुए उसे राष्ट्र के लिए खतरा बताया है. सुप्रीम कोर्ट देश के ट्राइबल एरिया में लोगों के जबरन धर्मांतरण मामले की आज सुनवाई कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि इसपर लगाम लगनी चाहिए क्योंकि यह एक अपराध है, कोर्ट ने मामले में सरकार से जवाब दाखिल कर यह बताने को कहा है कि इस मामले में सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की गयी, जवाब दाखिल करने के लिए उसने सरकार को 22 नवम्बर तक समय दिया है, मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है.
भाजपा शासित कई राज्यों में लागू है कानून
बता दें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक जैसे कई भाजपा शासित राज्यों में जबरन धर्मातरण के खिलाफ कानून बनाए गए है. यूपी की योगी सरकार ने वर्ष 2021 में गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण के खिलाफ कानून लागू किया था. वहीं भाजपा शासित कर्नाटक में ये कानून इसी वर्ष लागू हुआ है .शीर्ष अदालत ने कहा जबरन धर्मांतरण एक ऐसा गंभीर मुद्दा जो राष्ट्र की सुरक्षा और धर्म की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है. याचिकाकर्ता द्वारा मांग की गई कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसे नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए निर्देशित किया जाए.
क्या कहता है कानून
बता दें कि इस कानून में किसी के प्रभाव, जबरदस्ती, किसी दबाव या किसी लालच के बाद धर्मांतरण करने पर सजा का प्रावधान है. कानून के मुताबिक धर्मांतरण के मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे पांच साल तक की सजा के साथ 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. नाबालिग, महिला, एससी-एसटी के धर्मांतरण को लेकर इसमें अलग प्रावधान भी है. जिसमें दस साल की सजा और 50 हजार रुपए के जुरमाना हो सकता है.