नई दिल्ली। यूरोपीय संघ की नई नीति के तहत 2035 से नई पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इसके लिए नई नीति के तहत एक कानून को लेकर समझौता किया है। जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास के साथ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को और तेज करना है। यह कानून यूरोप के 27 देशों में पेट्रोल या डीजल से चलने वाली नई कारों की बिक्री पर रोक लगाएगा।
यूरोपीय संघ के देशों और यूरोपीय संसद के वार्ताकार इस पर सहमत हुए हैं कि कार निर्माता को 2035 तक CO2 उत्सर्जन में 100 प्रतिशत कटौती हासिल करनी चाहिए। वहीं समझौते के बाद यूरोपीय देशों में पेट्रोल—डीजल से चलने वाले ईंधन से चलने वाले वाहनों को बेचना असंभव हो जाएगा।
हुइतेमा ने कहा कि यह सौदा कार चालकों के लिए अच्छा है। नई शून्य उत्सर्जन वाली कारें अब सस्ती हो जाएंगी। जिससे वे अधिक किफायती और अधिक सुलभ होगी। इसी के साथ यूरोपीय संघ की जलवायु नीति के प्रमुख फ्रैंस टिमरमैन ने कहा कि समझौते ने उद्योग और उपभोक्ताओं को मजबूत संकेत भेजा है। यूरोप शून्य-उत्सर्जन गतिशीलता में बदलाव को स्वीकार कर रहा है।
यूरोपीय संघ के सांसदों ने 2021 की तुलना में 2030 में ऑटोमोबाइल से CO2 में 55 फीसद की कमी का समर्थन किया। समझौता कार उद्योग पर पिछले दशक की अपेक्षा इस दशक के अंत में मौजूदा 37.5 फीसद कार्बन डाइऑक्साइड डिस्चार्ज को कम करने के दायित्व के अनुसार है। वोक्सवैगन इसके के समर्थन में पहले से है। कंपनी के मालिक थॉमस शेफर ने इसी सप्ताह कहा था कि 2033 से, ब्रांड केवल यूरोप में इलेक्ट्रिक कारों का ही उत्पादन करेगा।