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Tripura assembly elections: पांच दशक से विरोधी रहे Congress और CPM, गठबंधन से दोनों में किसे मिलेगा लाभ

नेशनलTripura assembly elections: पांच दशक से विरोधी रहे Congress और CPM, गठबंधन...

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नई दिल्ली। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की घोषणा होनी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले धुर विरोधी कांग्रेस और सीपीएम ने हाथ मिलाया है। दोनों दलों ने घोषणा की है कि आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे। कुछ महीने पहले ही बीजेपी ने त्रिपुरा में बिपल्ब देव को हटाकर मानिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया था। कांग्रेस और सीपीएम के बीच इस गठबंधन ने कई तरह की राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सवाल हैं कि इस गठबंधन से किसे लाभ मिलेगा? सत्ताधारी भाजपा की लगातार दूसरी जीत दर्ज करने की उम्मीदों पर ये गठबंधन कितना असर करेगा।


पांच दशक से कांग्रेस और CPM खिलाफ

त्रिपुरा में 1967 से विधानसभा चुनाव होते आए हैं। पिछले पांच दशक का राजनीतिक इतिहास बताता है कि कांग्रेस और सीपीएम हमेशा एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं। यहां पर कभी कांग्रेस तो कभी सीपीएम सत्ता में रही। 2018 में दोनों दलों को भाजपा ने बड़ा झटका दिया। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता हासिल की। भाजपा के बिपल्ब कुमार देब मुख्यमंत्री बने। अब चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और CPM साथ आए हैं।

गठबंधन का कितना असर?

राजनीतिक विश्लेषक की माने तो त्रिपुरा लेफ्ट और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। दोनों पार्टियों ने 53 साल से अधिक तक त्रिपुरा में राज किया है। 2018 में भाजपा ने दोनों पार्टियों को करारी शिकस्त दी थी। इससे दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। भाजपा का इतिहास है कि एक बार वह सत्ता में आती है तो आसानी से जाती नहीं। यही कारण है कि इस बार 2023 में फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनको देखते हुए ही कांग्रेस और सीपीएम ने हाथ मिलाया है।
2018 के चुनाव से पहले भाजपा ने त्रिपुरा में मजबूती से पांव जमाया है। भाजपा ने बड़ी संख्या में गैर कम्युनिस्ट नेताओं को पार्टी से जोड़ा है। कांग्रेस और टीएमसी के पुराने नेता भाजपा के साथ आए हैं। भाजपा ने पिछले चुनाव में 60 में 33 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी।
प्रो. सिंह के अनुसार, अब सीपीएम और कांग्रेस के गठबंधन से कुछ सीटों पर कांग्रेस को फायदा हो सकता है, जबकि कुछ सीटों पर भाजपा को नुकसान। सीपीएम से नाराज लोग ही कांग्रेस को वोट देते हैं। अब तक दोनों ने हाथ मिला लिया है तो ये वोट भाजपा में आ सकता है। हालांकि, कुछ ऐसी सीटें हैं जहां सीपीएम का वोट आसानी से कांग्रेस को ट्रांसफर हो जाएगा। इससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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