National Medical Council: नेशनल मेडिकल काउंसिल ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत अब डॉक्टर जेनरिक दवाइयों के साथ ही ब्रांडेड दवाएं भी लिख सकेंगे। इस मुददे पर पिछले कई सालों से आईएमए और एनएमसी के बीच विवाद चल रहा था। आईएमए के दबाव में आककर अब एनएमसी ने अपना फैसला बदल दिया है। बदले फैसले के मुताबिक अब डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं लिख सकेंगे।
जेनरिक दवा या ब्रांडेड दवा, इस पर काफी समय से बहस चल रही है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) ने डॉक्टरों के लिए जेनरिक दवाएं लिखना अनिवार्य किया तो दवा बनाने वाली कंपनियों से लेकर IMA डॉक्टरों के संगठनों ने विरोध शुरु किया था। नतीजतन, मेडिकल कमीशन ने डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखने के फैसले को वापस ले लिया। अब डॉक्टर जेनेरिक दवाइयों के अलावा दूसरी दवाएं लिख सकेंगे।
भारत पूरे विश्व को जेनरिक दवाओं की सबसे अधिक सप्लाई करता है। दुनिया में जेनरिक दवाओं की 20 प्रतिशत मांग अकेले भारत पूरा करता है। इसके बाद भी भारत में जेनरिक दवाओं की कमी बनी हुई है। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने अपने फैसले में पहले सभी डॉक्टरों को जेनरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करने का निर्देश दिए थे। डॉक्टरों और सभी मेडिकल संगठनों ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इससे मरीजों को फायदा कम, नुकसान अधिक होगा।
फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) के माध्यम से प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना देश भर में चल रही है। इसका उद्देश्य आम लोगों को सस्ती क्वालिटी की जेनरिक मेडिसिन उपलब्ध कराना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पॉलीपिल्स को जरूरी दवा में शामिल किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हार्ट की बीमारियों के लिए पॉलीपिल्स को एसेंशियल मेडिसिंस यानी जरूरी दवा में शामिल किया है। इस दवा से प्राइमरी और सेकेंडरी फेज में बीमारी को कम किया जा सकेगा। डॉक्टरों का कहना है कि पॉलीपिल्स के इस्तेमाल से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को 50 प्रतिशत कम किया जा सकता है।