Monsoon Season 2023: मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक मानसून ब्रेक तब होता है जब मानसून ट्रफ उत्तर की तरफ शिफ्ट होती है। यह स्थिति Himalaya की तलहटी और Eastern India के हिस्सों में Rain को बढ़ाती है। जबकि देश के बाकी हिस्सों में कमजोर कर देती है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में मानसून सीजन पिछले 11 दिनों से ठहरा हुआ है। यह और अधिक सूखे दिनों का संकेत माना जा रहा है। ग्यारह दिनों तक बारिश न होना कोई अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता। अल नीनो का प्रभाव चरम पर है। मानसून का मौजूदा ठहराव की स्थिति में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मानसून ब्रेक तब होता है जब मानसून ट्रफ उत्तर की तरफ शिफ्ट होती है। यह स्थिति हिमालय तलहटी और पूर्वी भारत के हिस्सों में बारिश बढ़ाती है। जबकि देश के अन्य हिस्सों में बारिश को कमजोर करती है। विशेष रूप से मुख्य मानसून क्षेत्र या पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल और Odisha तक फैला क्षेत्र इस दायरे में है। active phase से Mansoon का विराम काफी सामान्य है। वर्तमान स्थिति के बारे में चिंताजनक यह है कि ठहराव 1951 के बाद सबसे लंबे ठहराव की ओर इशारा दे रहा है। आंकड़ों की माने तो पता चलता है कि पिछले 73 साल में कुल 10 मौके ऐसे आए। जब ठहराव का दौर 10 दिनों से अधिक रहा। 1972 में लगातार 17 दिनों तक बारिश नहीं हुई थी। 1966 और 2002 में ठहराव का दौर कई बार 10 दिनों तक रहा था। मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक मानसून अभी उपमहाद्वीप से वापस जाने में डेढ़ महीना दूर है। लेकिन यह देखा जा रहा है कि इस Season में देशभर में Rain और
kharif production कैसा रहता है।
268 जिलों में सबसे कम बारिश
भारत मौसम विज्ञान विभाग के बारिश वर्गीकरण के अनुसार इस मानसून सीजन में मानसून दीर्घकालिक औसत की तुलना में छह फीसद कम लेकिन ‘सामान्य’ रहा। लेकिन यह तथ्य उल्लेखनीय है कि इसका वितरण विषम है। 717 में कुल 268 जिलों में बारिश कम से बहुत कम हुई है। अब तक मानसूनी सीजन में बारिश में विसंगति नजर आई है। उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में बारिश ने तबाही मचाई तो पश्चिमी राजस्थान और सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र तरबतर हैं। जबकि केरल, गंगीय प.बंगाल, बिहार और झारखंड जैसे आर्द्र क्षेत्र कम बारिश के कारण शुष्क हैं।