राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भैयाजी के नाम से जाने जाने वाले शंकर दिनकर काणे की शताब्दी वर्ष के अवसर पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए कि अगर आपको लगता है कि आप भगवान् हैं तो इसे लोगों को तय करने दें, खुद से ही अपने को भगवान् नहीं घोषित करना चाहिए। मोहन भागवत ने ये बयान भले ही किसी और सन्दर्भ में दिया है लेकिन उनके इस बयान को प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान से जोड़ा जा रहा है जिसमें उन्होंने खुद को नॉन बायोलॉजिकल बताया था। मोहन भागवत प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद पहले भी एकबार एकबार इस तरह कि बात कह चुके हैं जो उन्होंने कल एक कार्यक्रम में कही।
भागवत ने काणे के काम को याद करते हुए कहा, “हमें अपने जीवन में जितना संभव हो उतना अच्छा काम करने का प्रयास करना चाहिए। कोई भी यह नहीं कह रहा है कि हमें चमकना नहीं चाहिए या दूसरों से अलग नहीं होना चाहिए। काम के माध्यम से, हर कोई एक सम्मानित व्यक्ति बन सकता है। लेकिन हम उस स्तर तक पहुँचे हैं या नहीं, यह दूसरों द्वारा निर्धारित किया जाएगा, न कि हम स्वयं द्वारा। हमें यह घोषणा नहीं करनी चाहिए कि हम भगवान बन गए हैं।”
मणिपुर की वर्तमान स्थिति के बारे में बोलते हुए भागवत ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियाँ “कठिन” हैं। सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। स्थानीय लोगों को अपनी सुरक्षा पर संदेह है। जो लोग वहां व्यवसाय या सामाजिक कार्य के लिए गए हैं, उनके लिए स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी आरएसएस के स्वयंसेवक मजबूती से तैनात हैं, दोनों गुटों की सेवा कर रहे हैं और स्थिति को शांत करने की कोशिश कर रहे ।
भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ के स्वयंसेवक मणिपुर से नहीं गए हैं। उनके अनुसार, आरएसएस कैडर दोनों समूहों के बीच सामान्य स्थिति बहाल करने और तनाव कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। उनके अनुसार “पूर्वांचल” क्षेत्र को लगभग 15 साल पहले “समस्याओं का क्षेत्र” के रूप में जाना जाता था और कुछ चरमपंथी समूह अलग होने की भाषा भी बोलते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और क्षेत्र में बदलाव आया, उन्होंने कहा। उन्होंने कहा, “लोगों में स्वधर्म की भावना व्याप्त है। मणिपुर जैसे राज्यों में आज जो अशांति हम देख रहे हैं, वह कुछ लोगों का काम है जो प्रगति के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करना चाहते हैं। लेकिन उनकी योजना सफल नहीं होगी।