उम्मीद के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि बसपा चुनाव पूर्व किसी भी राजनीतिक गठबंधन में शामिल नहीं होगी, जो भी गठबंधन होगा वो चुनाव बाद होगा जिसका सीधा मतलब ये हुआ कि बसपा लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। मायावती का ये फैसला इंडिया गठबंधन के लिए एक तरह से झटका माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए पूरा विपक्ष साथ आये, विशेषकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सपा-बसपा और दूसरी विपक्षी पार्टियों के साथ ही चुनाव में जाना चाहती थी, मगर मायावती के एलान ने उसकी उम्मीदों पर आज पानी फेर दिया।
बताया जा रहा है कि मायावती के इस फैसले के पीछे वजह है कि बसपा को चुनाव पूर्व गठबंधन से नुक्सान होता है, मायावती इस बात को कई बार सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं हालाँकि नतीजे इसके उलट तस्वीर पेश करते हैं. बसपा के साथ जब सपा का गठबंधन हुआ तो फायदा बसपा का हुआ, सपा के खाते में एक भी अतिरिक्त सीट नहीं आयी थी. मायावती कहती हैं कि गठबंधन में उनका वोट बैंक तो गठबंधन सहयोगी की तरफ ट्रांसफर होता हैं लेकिन सहयोगी पार्टी का वोट बैंक बसपा को समर्थन नहीं करता और इसलिए बसपा इसबार किसी के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। हाँ चुनाव बाद गठबंधन का विकल्प पार्टी के पास रहेगा।
मायावती ने इसके साथ ही ये भी स्पष्ट किया है कि उनकी राजनीति से संन्यास लेने की कोई योजना नहीं है। मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को जिस तरह बढ़ावा दे रही हैं उससे राजनीतिक हलकों में ये बात गश्त कर रही है कि मायावती जल्द ही सारी ज़िम्मेदारी आकाश आनंद के हवाले करने जा रही हैं। मायावती ने भाजपा पर एकबार फिर हमला करते हुए कहा कि वो सिर्फ जातिवाद और सांप्रदायिक राजनीति करना जानती है. वहीँ उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने मायावती के लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के निर्णय को प्रदेश के जनमानस की भावनाओं के विपरीत बताया है और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान को बचाने के लिए अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है.