बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक नागरिक संहिता वाले बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार को संविधान की मंशा के अनुरूप धर्मनिरपेक्षता का पालन करना चाहिए, यही सच्ची देशभक्ति और राजधर्म है।
मायावती ने शुक्रवार को सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री द्वारा कल 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह पर लाल किले से बाबा साहब द्वारा सभी धर्मों के लिए समान संहिता के सिद्धांत की संवैधानिक व्यवस्था को ‘सांप्रदायिक’ कहना उचित है?
बसपा प्रमुख मायावती ने गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा, यह कितना सही है कि प्रधानमंत्री देश की ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याओं जैसे कि घोर गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और पिछड़ापन आदि से प्रभावित लगभग 125 करोड़ लोगों में आशा की कोई नई किरण नहीं जगा पा रहे हैं? उन्होंने सवाल किया कि लोगों के ‘अच्छे दिन’ कब आएंगे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया भाषण बहुत लंबा था, लेकिन आरक्षण आदि के संबंध में करोड़ों दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में बहुत निराशाजनक था, जबकि एक अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह बहुत ही विशेष और ज्वलंत मुद्दा है।
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस संबंध में भाजपा सांसदों को दिया गया आश्वासन भी याद नहीं रहा, जबकि कांग्रेस को देश के एससी-एसटी वर्गों के साथ इसी तरह का जातिवादी रवैया अपनाने की बड़ी शिकायत है, क्योंकि यह पार्टी भी भाजपा की तरह उनके उप-वर्गीकरण और उन्हें विभाजित करने की बात करने लगी है। अब तक उन्होंने चुप्पी साध रखी है, जो अनुचित है।