Kullu Dussehra: कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव शुरू हो गया है। देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश झुकाया। भगवान रघुनाथ के स्थाई शिविर में देवी देवताओं का शीश झुकाने का सिलसिला सुबह से जारी है। इसके बाद भगवान रघुनाथ जी को रथ में बिठाकर रथ यात्रा निकाली जाएगी। इससे पहले देवता हुरगु नारायण और पंचवीर देवता ने आपस में मिलन किया।
देश-विदेश से लोग यहां के अनोखे नजारे को देखने के लिए आते हैं
देव मिलन देवभूमि हिमाचल के लोगों के जीवन का हिस्सा है। कुल्लू में सात दिन तक चलने वाला देव-मानव मिलन का यह उत्सव बहुत खास है। देश-विदेश से लोग यहां के अनोखे नजारे को देखने के लिए आते हैं। कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव शुरू हो गया है।
भगवान रघुनाथ के मंदिर में देवी-देवताओं के शीश झुकाने का सिलसिला सुबह से लेकर जारी रहा। देवी—देवताओं द्वारा शीश झुकाने का सिलसिला दोपहर तीन बजे तक जारी रहा। देवी देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के दरबार में शीश झुकाया तो भगवान रघुनाथ जी ने उन्हें उत्सव के लिए निमंत्रित किया। देवता हुरगु नारायण और पंचवीर देवता ने मिलन किया।
देवी-देवताओं को मिलने का अवसर प्राप्त
दशहरे का पर्व जहां कुल्लू के लोगों के लिए भाईचारे का मिलाप है तो देवी देवताओं को एक दूसरे से मिलने का अवसर प्राप्त होता है। इस दौरान कई देवी-देवताओं ने आपस में मिलन किया। अब कुछ ही देर बाद भगवान रघुनाथ जी को ढोल-नगाड़ों की थाप पर मंदिर से कड़ी सुरक्षा के बीच ढालपुर स्थित रथ मैदान तक लाया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना कुल्लू दशहरा
दशहरा उत्सव में देवी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में शीश झुकाते हैं। दशहरा उत्सव में जहां देवी देवताओं का मिलन होता तो घाटी में रहने वाले लोगों के खेती और बागवानी कार्य समाप्त होने के बाद ग्रामीणों की खरीदारी के लिए खास होता है। 17वीं शताब्दी में कुल्लू के राजपरिवार द्वारा देव मिलन से शुरु हुआ कुल्लू दशहरा आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है।