कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि मामले में उनके अभियोजन के लिए राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी। पिछले महीने की शुरुआत में, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कथित MUDA भूमि घोटाले के सिलसिले में सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।
राज्यपाल के फैसले को “संविधान विरोधी” और “कानून के खिलाफ” बताते हुए, सिद्धारमैया ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, कथित MUDA घोटाले में शिकायतकर्ता टीजे अब्राहम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता रंगनाथ रेड्डी ने कहा कि राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है।
उधर MUDA घोटाले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे किसी भी जांच से पीछे नहीं हटेंगे। उनकी यह टिप्पणी कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज करने के बाद आई है।
उन्होंने कहा, “मैं किसी भी जांच से पीछे नहीं हटूंगा। मैं इस बारे में विशेषज्ञों से परामर्श करूंगा कि कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं।” सिद्धारमैया ने कहा कि वे कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे और लड़ाई की रूपरेखा तय करेंगे। सिद्धारमैया ने कहा कि अगले कुछ दिनों में सच्चाई सामने आ जाएगी।
उन्होंने कहा, “राज्य के लोग इस राजनीतिक संघर्ष में मेरे पीछे खड़े हैं। उनका आशीर्वाद ही मेरी सुरक्षा है। मैं कानून और संविधान में विश्वास करता हूं। इस लड़ाई में आखिरकार सच्चाई की जीत होगी। यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की बदले की राजनीति के खिलाफ लड़ाई है।”सिद्धारमैया पर आरोप है कि MUDA ने एक प्रमुख इलाके में उनकी पत्नी को 14 भूखंड आवंटित किए थे। सिद्धारमैया ने कहा, “भाजपा और जेडी(एस) ने मेरे खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा लिया है, क्योंकि मैं गरीबों का समर्थक हूं और सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहा हूं।”