प्रधानमंत्री मोदी की बहुत करीबी मानी जाने वाली फिल्म अदाकारा और मंडी लोकसभा सीट से सांसद कंगना रनौत इन दिनों बहुत परेशान हैं क्योंकि उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘इमरजेंसी’ तमाम प्रयासों के बाद भी रिलीज़ नहीं हो पा रही है। दरअसल इसके लिए वो खुद ही ज़िम्मेदार हैं क्योंकि फिल्म के प्रमोशन के चक्कर में उन्होंने किसानों को लेकर कुछ ऐसे बयान दे दिए जो सरकार के गले की हड्डी बन गए हैं. सरकार के सामने हरियाणा विधानसभा चुनाव है जो किसान बाहुल्य प्रदेश कहलाया जाता है. यही वजह है कि सरकार किसानों की नाराज़गी इस समय मोल नहीं लेना चाहती और तभी उसने कंगना की ‘इमरजेंसी’ को सेंसर सर्टिफिकेट जारी न कर एक तरह से फिल्म पर रोक लगा दी है. कंगना इस मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट भी पहुंची मगर उन्हें कोई राहत नहीं मिली है.
जानकारी के मुताबिक बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को कंगना रनौत अभिनीत फिल्म इमरजेंसी को तुरंत प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है। इसका मतलब अब यह फिल्म 6 सितंबर को रिलीज नहीं हो पाएगी। इमरजेंसी के निर्माता जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने 3 सितंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को कंगना रनौत द्वारा निर्देशित फिल्म “इमरजेंसी” के लिए प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने की मांग की थी।
कंगना रनौत द्वारा निर्देशित यह बायोग्राफिकल ड्रामा विवादों में घिर गई है, क्योंकि शिरोमणि अकाली दल सहित सिख संगठनों ने इस पर समुदाय को गलत तरीके से पेश करने और ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में दावा किया गया है कि सीबीएफसी ने “अवैध रूप से और मनमाने ढंग से” प्रमाण पत्र रोक रखा है। याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए जस्टिस बी पी कोलाबावाला और फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया।