संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने रविवार को हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। टीम ने जिलाधिकारी, एसपी व अन्य अधिकारियों के साथ जामा मस्जिद समेत उन सभी स्थानों का गहन निरीक्षण किया जहां पथराव के बाद हिंसा भड़की थी और जिसमें पांच लोगों की मौत हुई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश डी के अरोड़ा की अध्यक्षता वाले इस आयोग में दो सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद व सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ए के जैन शामिल थे। यूपी के पूर्व डीजीपी व तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के सदस्य ए के जैन ने पुष्टि की कि 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच अगले दो महीने तक जारी रहेगी। जैन ने आगे कहा कि जांच घटनाओं की तह तक पहुंचेगी।
टीम सबसे पहले जामा मस्जिद क्षेत्र में पहुंची और करीब तीन मिनट तक मस्जिद के बाहर व अंदर के हालात का जायजा लिया। एसपी कृष्ण विश्नोई ने टीम को बताया कि कोर्टगर्वी मोहल्ले से शुरू हुआ विवाद उस समय हिंसक हो गया, जब मस्जिद के पास मौजूद भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। एसपी ने बताया कि हिंसा के दौरान वाहनों में आग लगाई गई और पुलिस टीम पर हमला किया गया। टीम ने मस्जिद के अंदर जाकर स्थिति का बारीकी से निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने हिंसा के मुख्य स्थलों की पहचान की और अधिकारियों से जानकारी जुटाई।
आयोग ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय दुकानदारों और निवासियों से बातचीत की। क्षेत्र के दुकानदारों ने बताया कि पथराव के दौरान वे अपनी दुकानें बंद करके मौके से चले गए थे। टीम ने हिंसा वाले दिन की घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली। जामा मस्जिद के निरीक्षण के बाद आयोग की टीम नखासा चौराहे पर पहुंची, जहां हिंसा और पथराव की घटना हुई थी। टीम ने वहां के हालात का बारीकी से अध्ययन किया और अधिकारियों से बातचीत की। आयोग की टीम ने डीएम, एसपी व अन्य अधिकारियों से पूरी घटना की विस्तृत जानकारी ली। एसपी ने आयोग को बताया कि किन घरों से पथराव हुआ और प्रशासन ने किस तरह से स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। न्यायिक आयोग दो माह में अपनी रिपोर्ट देगा।