depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

J&K चुनाव: भाजपा में हड़बड़ाहट क्यों? ये अच्छा शगुन नहीं

आर्टिकल/इंटरव्यूJ&K चुनाव: भाजपा में हड़बड़ाहट क्यों? ये अच्छा शगुन नहीं

Date:

अमित बिश्नोई
भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। उम्मीदवारों की सूची को लेकर पार्टी में भ्रम और अराजकता के कुछ घंटों बाद ही दूसरी सूची जारी की गई। सोमवार की सुबह पार्टी ने 44 नामों वाली अपनी पहली सूची जारी की, लेकिन कुछ ही मिनटों बाद उसे वापस ले लिया। बाद में उसने 15 नामों वाली एक छोटी सूची फिर से जारी की – इस बार, केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों के लिए जहां पहले चरण में मतदान होना है। हालांकि पार्टी ने इस बात पर चुप्पी साध रखी है कि आज सुबह भ्रम की स्थिति क्यों बनी, ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ बड़े नामों को छोड़ दिए जाने पर नाराजगी पैदा हुई, हो सकता है सूची को वापस लेने का ये एक कारण हो लेकिन शायद यही एक कारण नहीं।

44 नामों वाली पहली सूची से कुछ उल्लेखनीय नाम बाहर रखे गए थे, जिनमें जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंदर रैना और पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह और कविंदर गुप्ता शामिल थे। हालांकि, सूची में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के भाई देवेंद्र रैना भी शामिल थे, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस से आए थे। सूची में दो कश्मीरी पंडितों और 14 मुस्लिम उम्मीदवारों के अलावा कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और पैंथर्स पार्टी के कई पूर्व नेताओं के नाम शामिल थे, जो भाजपा में शामिल हो गए थे। माना जाता है कि नाराजगी की मुख्य वजह यही थी जिसके कारण पहली सूची वापस लेनी पड़ी, जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंदर रैना इस मुद्दे पर खुलकर सामने आ गए और बोले आयतित नेता बर्दाश्त नहीं। उनके लहजे में बग़ावत और विरोध की बू आ रही थी. रैना कश्मीर की सियासत में कोई छोटा नाम नहीं है और इसलिए जब रैना ने आवाज़ उठाई तो और भी बहुत सी आवाज़ें उसमें शामिल हो गयी.इतनी कि उसका शोर आसानी से दिल्ली तक पहुँच गया और दिल्ली में बैठे लोग हिल गए और फ़ौरन बैकफुट पर चले गए. वैसे लोकसभा चुनाव बाद भाजपा के लिए बैकफुट पर जाना कोई हैरानी वाली बात नहीं है, नयी सरकार के छोटे से अल्पकाल में वो कई बार अपने कदम पीछे घसीट चुकी है, हालाँकि पहले ऐसा नहीं होता था, ऊपर से जो फरमान जारी होता था उसपर अक्षरशः पालन होता था.

5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में ये पहला चुनाव है. भाजपा सालों से यहाँ तैयारी में जुटी हुई है। हालात उसके अनुकूल रहें इसके लिए काफी मशक्कत की जा रही है फिर वो चाहे नया परिसीमन करके जम्मू और कश्मीर के बीच सीटों का संतुलन बनाना हो या फिर चुनाव से पहले LG के अधिकारों को बढ़ाना हो। लेकिन सारी तैयारी के बाद भाजपा इस पोजीशन में नहीं कि पार्टी के अंदर इतनी बड़ी नाराजगी को झेल सके यही वजह है कि भाजपा को तीनों चरणों के लिए पहली सूची वापस लेने और फिर नयी सूची जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. पहले 44 लोगों के नाम एलान किये गए थे, बाद में सिर्फ 15 नाम घोषित किये गए, वो भी सिर्फ पहले चरण के लिए. ख़ास बात ये है कि पहली सूची जारी करने से पहले वाली रात को पीएम मोदी, अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिर जोड़कर एक एक नाम पर चर्चा की थी और फिर उसे हरी झंडी दिखाई गयी थी लेकिन सिर्फ चंद घंटों बाद ही पहली सूची वापस ले ली गयी और उसका कोई कारण भी नहीं बताया गया, हालाँकि उसके बाद जो घटनाक्रम हुए और जो ख़बरें सामने आईं उनसे वजह तो स्पष्ट हो गयी और ये भी स्पष्ट हो गया कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए आल इज़ नॉट वेल का माहौल है.

जम्मू कश्मीर में भाजपा के लिए चुनावी माहौल पहले भी मुश्किल था और उसकी वजह ये है कि इस बार नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस बिला शुबहा कश्मीर की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी है और भारत जोड़ो यात्रा के बाद कश्मीर में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी का एक करिश्मा बना हुआ है. इसलिए इन दोनों पार्टियों का साथ आना भाजपा के लिए परेशानी का सबब है हालाँकि भाजपा की पुरानी सहयोगी पीडीपी चुनाव में अकेले उतरी है लेकिन कश्मीर के लोगों में खासकर वैली के लोग भाजपा के इस राज्य में पैर जमाने और बाद में जो राजनीतिक हालात बने उनके लिए महबूबा मुफ़्ती को ही ज़िम्मेदार मानते हैं और वो उन्हें माफ़ करने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में पीडीपी चुनाव में वोट कटुवा पार्टी की भूमिका निभाती हुई नज़र आएगी, देखने वाली बात ये होगी कि पीडीपी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन का कितना नुक्सान कर सकती है। कश्मीर में पीडीपी से ज़्यादा असर तो प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी का दिखाई दे रहा है और इसीलिए उसने चुनाव में आज़ाद उम्मीदवार के रूप में अपने उम्मीवार उतारने का फैसला किया है. अगर हम पिछले चुनावों की बात करें जो 2014 में हुए थे तब पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी थी, उसे 28 सीटें मिली थीं और भाजपा 25 सीटों के साथ दुसरे नंबर पर थी और बाद में राजनीतिक हालात बदलने पर इन दो पार्टियों ने सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिए थे और उसके बाद जम्मू कश्मीर में जो कुछ हुआ उसे न तो कभी पीडीपी भुला पायेगी और न ही नेशनल कांफ्रेंस। बहरहाल आज सुबह जो हुआ वो जम्मू कश्मीर के चुनाव को लेकर भाजपा के लिए अच्छा शगुन तो नहीं कहा जायेगा।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

भारत में 4 और रिटेल स्टोर खोलने की योजना बना रहा है Apple

Apple उत्पादों के लिए तेजी से बढ़ते बाजार को...

अमरीका युद्धग्रस्त लेबनान को मानवीय सहायता के रूप में देगा 157 मिलियन डॉलर

संयुक्त राज्य अमेरिका ने लेबनान और आस-पास के क्षेत्र...

एनसीए में लगी चोट के बाद मोहम्मद शमी ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर

स्टार तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की ऑस्ट्रेलिया दौरे में...