जेडीयू के सीनियर नेता के सी त्यागी को बयानबाज़ी करना मंहगा पड़ा और इसी की वजह से आज उन्हें जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद को छोड़ना पड़ा बल्कि कह सकते हैं कि जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व (नितीश कुमार) ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया या फिर आदेश दिया। वैसे तो पार्टी की तरफ से आये बयान में तो यही कहा गया है कि के सी त्यागी ने निजी कारणों की वजह से राष्ट्रिय प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी छोड़ी है लेकिन सियासी हलकों में पार्टी की सफाई को गलत बताया गया है.
दरअसल के सी त्यागी बेबाकी से बोलने वाले नेताओं में से हैं, जेडीयू के साथ उनका बहुत पुराना रिश्ता है. मोदी-3.0 कहिये या फिर NDA सरकार के सी त्यागी ने कई अपर मुखर होखर होकर मोदी सरकार के फैसलों पर सवाल उठाये हैं फिर वो चाहे वक़्फ़ का मामला हो, UPSC पिछले दरवाज़े से अधिकारीयों की नियुक्ति का मामला हो , CAA की बात हो या फिर विदेश नीति का मामला हो, हर मुद्दे पर उनके बयानों से मोदी सरकार को परेशानी हुई है और लगातार ऐसा सन्देश जा रहा था कि NDA सरकार में सहयोगियों के साथ भाजपा का तालमेल ठीक नहीं बैठ रहा है. यही वजह है कि सहयोगियों के शीर्ष नेतृत्व से सरकार में शीर्ष पर बैठे लोगों ने बात की और कहा कि जनता में नेताओं के बयानों से जो सन्देश जा रहा है उससे सरकार की छवि खराब हो रही है, इसलिए इस तरह की बयानबाज़ियों को रोका जाना चाहिए। दरअसल के सी त्यागी का इजराइल को हथियार सप्लाई करने के मुद्दे पर विपक्ष का समर्थन करने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बहुत अखर गया था.
बताया जा रहा है कि जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व ने इसी लिए के सी त्यागी पर इस बात के लिए दबाव भी डाला कि वो इस तरह के बयान न दें जिससे सरकार की छवि खराब हो, लेकिन के सी त्यागी ने इस तरह का निर्देश मानने से इंकार करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफ़ा देना बेहतर समझा। नितीश कुमार ने भी उनका इस्तीफ़ा स्वीकारने और राजीव रंजन को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाने में बिलकुल भी समय नहीं लगाया।