उत्तर प्रदेश में एनआईए-आतंकवाद निरोधी दस्ते की विशेष अदालत ने बुधवार को अवैध धर्म परिवर्तन रैकेट के 2021 के एक मामले में इस्लामिक प्रचारक मौलाना कलीम सिद्दीकी और मोहम्मद उमर गौतम समेत 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। पुलिस ने बताया कि वे जिस संगठन को संचालित करते थे, उसका नाम इस्लामिक दावा सेंटर था, जिसकी पहुंच पाकिस्तान की आईएसआई और अन्य विदेशी एजेंसियों से थी।
विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अपने आदेश में चार अन्य को 10 साल की जेल की सजा सुनाई, जबकि दोषियों पर भारी जुर्माना लगाया और पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया। आरोपी उत्तर प्रदेश में सुनने में अक्षम छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित करने में शामिल एक संगठन चला रहे थे, जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संदिग्ध फंडिंग हो रही थी। डीजीपी प्रशांत कुमार ने खुलासा किया कि इस्लामिक दावा सेंटर के संस्थापक और दिल्ली के जामिया नगर में बटला हाउस के निवासी मोहम्मद उमर गौतम ने हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म अपना लिया था। पूछताछ के दौरान गौतम ने दावा किया कि उसने “कम से कम 1,000 लोगों को इस्लाम में परिवर्तित किया है,” कथित तौर पर उन्हें शादी, पैसे और नौकरी का वादा करके बहलाया-फुसलाया।
अन्य दोषियों में इरफान शेख, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रसाद रामेश्वर कंवरे उर्फ आदम, अरसलान मुस्तफा उर्फ भूप्रिया बंदन, कौशर आलम, फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी, काजी जहांगीर और अब्दुल्ला उमर शामिल हैं, जिन्हें आईपीसी की धारा 121ए के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
अदालत ने सभी दोषियों पर भारी जुर्माना भी लगाया और कहा कि जांच के दौरान जेल में बिताया गया समय उनकी कुल सजा में समायोजित किया जाएगा। बता दें कि लखनऊ में दर्ज एक एफआईआर के बाद एटीएस ने देश भर में विभिन्न अभियानों में ये गिरफ्तारियां कीं थीं.