Sovereign Gold Bond: धनतेरस (Dhanteras) के शुभ मौके पर पेपर गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं। ऐसे में सबसे बेहतर विकल्प है सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड(Sovereign Gold Bond या SGB)। एक तो इस पर सालाना 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है वहीं दूसरे यदि इसे 8 साल की मैच्योरिटी पीरियड तक होल्ड रखा जाए तो मैच्योरिटी की राशि पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। जानकार सोने में निवेश के लिहाज से पहली प्राथमिकता सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को दे रहे हैं।
गोल्ड म्युचुअल फंड (gold mutual fund) के मुकाबले और आकर्षक
1 अप्रैल 2023 से तो SGB पेपर गोल्ड में निवेश के अन्य विकल्पों मसलन गोल्ड ईटीएफ (gold ETF), गोल्ड म्युचुअल फंड (gold mutual fund) के मुकाबले और आकर्षक हो गया। गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड को बेचने पर इंडेक्सेशन (Indexation) के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स प्रावधान को सरकार ने खत्म किया है। इसका मतलब है कि गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड बिक्री से जो कमाई होगी उसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाएगा। भले इसे खरीदने के 36 महीने पूरे होने से पहले या बाद में बेच दें। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन निवेशक के आय में जुड़ जाता है और उसे टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है।
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के प्रीमैच्योर रिडेम्पशन
जबकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के प्रीमैच्योर रिडेम्पशन के मामले में इंडेक्सेशन के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के प्रावधान पहले की तरह आगे जारी रहेंगे। लेकिन सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सब्सक्रिप्शन के लिए हमेशा उपलब्ध नहीं होते हैं। इसे सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी सीरीज की बिक्री 15 सितंबर को खत्म हुई है। जबकि निवेशकों को 20 सितंबर को बॉन्ड जारी कर दिए गए थे।
स्टॉक एक्सचेंज पर जाकर गोल्ड बॉड खरीद सकते हैं
फिलहाल SGB सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। लेकिन उन निवेशकों को परेशानी की जरूरत नहीं है जो धनतेरस के शुभ मौके पर एसजीबी में निवेश करना चाहते हैं। मौजूदा वित्त वर्ष (2023-24) के लिए तीसरी सीरीज के जारी होने तक का इंतजार करने के बजाय वे सेकेंडरी मार्केट यानी स्टॉक एक्सचेंज पर जाकर गोल्ड बॉड खरीद सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनके पास डीमैट और ट्रेडिंग खाते का होना जरूरी है। ये बॉन्ड ट्रेडेबल हैं यानी ट्रेड के लिए सेकेंडरी मार्केट (secondary market) में उपलब्ध रहते हैं। डीमैट फॉर्म (demat form) में बॉन्ड लेने वाले कभी भी लिस्टिंग के बाद इसे स्टॉक एक्सचेंज पर बेच सकते हैं।