कींव। रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई अब काफी लंबी खिंच चुकी है। इसका खामियाजा यूरोप के साथ दुनिया के अन्य देश भी भुगत रहे हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंधों के खिलाफ रूस ने यूरोप की तेल-गैस आपूर्ति ठप कर दी है। यूरोप की अर्थव्यवस्था रूस के तेल-गैस सप्लाई पर ही निर्भर है। इन सबके बीच पिछले छह महीने में तुर्की और रूस के बीच कई साझेदारियां मजबूत हुई है। रूस और यूक्रेन के बीच तुर्की एक ईमानदार और तटस्थ मध्यस्थ के रूप में उभरकर सामने आया। दोनों देशों के बीच लड़ाई से जब विश्वस्तरीय अनाज संकट गहराया तो तुर्की ने ही दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराई थी। यह पश्चिमी देशों ने देखा कि लड़ाई के बीच तुर्की ने अपने बंदरगाहों के माध्यम से रूस से मध्यस्थता कराकर यूक्रेन का अनाज दुनिया के लिए खुलवाया था।
प्रतिबंधों में काम करने का तुर्की के पास अच्छा खासा लंबा अनुभव है। लेकिन तुर्की का यह रुख अचानक से नहीं है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों में रहते हुए ऐसे मामलों में काम करने का तुर्की का अपना एक पुराना और लंबा अनुभव है। उसे रूस और यूक्रेन युद्ध से बनें हालातों का अपने देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभ उठाने से कोई परहेज नहीं है। तुर्की राष्ट्रपति ने कहा है कि वह रूस पर लगाए पश्चिमी प्रतिबंधों को लागू नहीं करेंगे। तुर्की नाटो सदस्य देश है। इसके बाद भी उसने अपने हवाई क्षेत्र को रूस के लिए बंद नहीं किया। इसके अलावा उसने रूसियों को नकदी जमा करने के लिए तुर्की के बैंकों में खाते खोलने की भी अनुमति दी है।
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तुर्की के इस निर्णयों से अमेरिका की चिंता बढ़ रही है। हाल के दिनों में तुर्की की रूस के साथ बढ़ी नजदीकियों ने अमेरिका को हैरत में डाल दिया। तुर्की, अमेरिका का नाटो सहयोगी देश है। इसके बावजूद उसने रूस पर प्रतिबंधों को लागू करने के स्थान पर रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को लगातार बढ़ाए रखा है। इसके अलावा, रूस 20 बिलियन अमरीकी डालर लागत वाले तुर्की के पहले परमाणु संयंत्र का वित्तपोषण कर रहा है। आंकड़ों से पता चला है कि पिछले दिनों की तुलना में रूस से तुर्की के निर्यात में 60 फीसद की वृद्धि हुई है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब कई देशों ने रूस को निर्यात में कटौती कर उस पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया है।