IIP data: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर सितंबर में गिरकर तीन महीने के निचले स्तर 5.8 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि अगस्त में 10.3 फीसद थी। यह जानकारी राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने दी। जिसके जारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में बीते महीने की तुलना में 4.5 फीसद गिरावट आई। इस अवधि में बिजली और खनन में बढ़कर क्रमश 9.9 फीसदी और 11.5 फीसदी हो गया। वैसे बीते साल सितंबर में आईआईपी 3.3 प्रतिशत रहा था।
फर्नीचर की वृद्धि में गिरावट आई
वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान आईआईपी की वृद्धि छह फीसदी रही थी। जबकि बीते साल की इसी अवधि में यह 7.1 फीसदी थी। आईआईपी के 23 में से नौ क्षेत्रों जैसे खाद्य उत्पादों, कपड़ा, तंबाकू, कागज के उत्पादों, रसायन, रिकार्डिड मीडिया, कंप्यूटर और फर्नीचर की वृद्धि में गिरावट आई थी। हालांकि बीते माह की तुलना में इस्तेमाल आधारित प्राथमिक और मध्यवर्ती सामानों में क्रमश 8 फीसदी और 5.8 फीसदी की गिरावट आई थी। अर्थव्यवस्था में उपभोग व मांग को उपभोक्ता वस्तुएं और गैर उपभोक्ता वस्तुओं की वृद्धि
प्रदर्शित करती हैं। इस अवधि में उपभोक्ता वस्तु में एक फीसदी और गैर उपभोक्ता वस्तु में 2.7 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति का कहना है कि प्रतिकूल आधार, त्योहारी कैलेंडर में बदलाव और अत्यधिक बारिश के कारण आईपीपी के साल-दर-साल आंकड़ों पर प्रतिकूल असर पड़ा। ये आंकड़ें सितंबर में अनुमान के करीब आधे रहे। उन्होंने कहा, ‘सभी उपक्षेत्रों और इस्तेमाल आधारित श्रेणियों में व्यापाक तौर पर गिरावट रही।
गैर टिकाऊ वस्तुओं में 2.7 प्रतिशत गिरावट
रोजमर्रा के उपयोग की टिकाऊ और गैर टिकाऊ वस्तुओं में विशेष तौर पर 1 प्रतिशत और 2.7 प्रतिशत गिरावट आई है। इससे सितंबर में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट दर्ज हुई है। बैंक ऑफ बड़ौदा के अर्थशास्त्री मदन ने कहा कि तीसरी तिमाही में उपभोक्ताओं की कमजोर मांग की उम्मीद है। हालांकि इस अवधि में त्योहारी खरीदारी से कुछ मदद मिलेगी। इस क्रम में खरीफ की फसल के कारण ग्रामीण मांग पर भी करीब नजर रखनी होगी।
उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में वृद्धि छह फीसदी है और विनिर्माण की वृद्धि दर 5.7 फीसदी है। ये आंकड़ें संकेत देते हैं कि साल में स्थिर वृद्धि होगी और आने वाले कुछ महीनों में यह यथावत रहेगी या स्थितियां बेहतर हो सकती हैं। उपभोग के क्षेत्र में रिकवरी होने के कारण उद्योग सही रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।