तौक़ीर सिद्दीक़ी
मेलबोर्न के मौसम के बारे में कहा जाता है कि बड़ा अनिश्चित रहता है. इंडिया-ऑस्ट्रेलिया के चौथे टेस्ट के पांचवें दिन इस बात की पुष्टि भी हुई. लेकिन यहाँ उस मौसम की बात नहीं हो रही जो आसमान पर बदलता है, यहाँ बात हो रही है मैदान के मौसम की जो आसमानी मौसम की तरह पल पल बदलता रहा. सुबह का पहला सेशन पूरी तरह से ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में रहा वहीँ यशस्वी और पंत ने अगले सेशन में इस मौसम को भारत के पक्ष में कर दिया लेकिन खेल के आखरी सेशन में जब टीम इंडिया के चाहने वाले कुछ अनोखे परिणाम की उम्मीद कर रहे थे, मैदानी मौसम ने फिर करवट बदली और ऑस्ट्रेलिया न सिर्फ हावी हुआ बल्कि 184 रनों की विशाल जीत भी दर्ज कर ली. टीम इंडिया की तथाकथित लम्बी बैटिंग लाइन अप के पांच विकटों समेत सात विकेट पतझड़ की तरह झड़ गए और भारत के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुँचने पर एक बहुत बड़ा सवालिया निशान छोड़ गए.
ऋषभ पंत ने जो लग रहा था कि गावस्कर द्वारा स्टुपिड कहे जाने को काफी गंभीरता से लिया है जो उनकी आज की बल्लेबाज़ी में झलक भी रहा था. एक एक गेंद को वो बड़ी समझदारी से खेल रहे थे, ऐसा लग रहा था कि वो गावस्कर को जवाब देना चाह रहे हैं कि मैं इस तरह से भी खेलना जनता हूँ। अपने इस उद्देश्य में वो दिन के दुसरे सेशन के दौरान पूरी तरह कामयाब भी हुए और 33 रनों पर तीन विकेट गिरने के बाद जिस तरह की धैर्य भरी पारी की ज़रुरत होती है, उनकी बल्लेबाज़ी बिलकुल उसी तरह नज़र आयी. लेकिन चाय के बाद आख़िरकार उनका धैर्य जवाब दे गया और वो एक ऐसी गेंद पर आउट हो गए जो निश्चित ही एक बड़े शॉट को डिज़र्व करती थी. कह सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के बिछाये जाल में एक तरह से वो फंस गए.
चाय से पहले आखरी ओवर में ऑस्ट्रेलिया ने ऐसी ही कोशिश की थी और मार्नेस लाबुषाने को गेंदबाज़ी सौंपी थी जिन्होंने लगातार 6 गेंदें पटकी हुई फेंकी थी, अपने स्वाभाविक खेल में पंत इन सभी 6 गेंदों को 6 रन के लिए भेज सकते थे लेकिन पंत ने मौके की नज़ाकत को देखते हुए सभी गेंदों को छोड़ दिया। लेकिन चाय के बाद वो वैसा धैर्य न दिखा सके और ट्रेविस हेड की एक छोटी गेंद पर छक्का मारने की कोशिश में डेरिल मिचेल को कैच दे बैठे। इस शॉट के लिए आप पंत को दोष दे सकते हैं और नहीं भी क्योंकि गेंद वाकई में मारने वाली ही थी.
पंत के आउट होते ही जैसे विकटों की पतझड़ शुरू हो गयी. 127 के स्कोर पर रविंद्र जडेजा और 130 के स्कोर पर पिछली पारी के शतकवीर नितीश रेड्डी टीम को मझदार में छोड़कर चले गए. इसके बाद मेलबोर्न के मैदान पर एक तमाशा हुआ, ऐसा तमाशा क्रिकेट में बहुत कम ही देखने को मिलता है. दरअसल यशस्वी जैसवाल जो बहुत शानदार बल्लेबाज़ी कर रहे थे और टीम इंडिया की उम्मीद बने हुए थे, कमिंस की एक पटकी हुई गेंद पर हुक शॉट खेलने से खुद को नहीं रोक सके. विकेट के पीछे एलेक्स कैरी ने कैच की अपील की मगर मैदानी अंपायर ने नॉट आउट करार दिया। कमिंस के रेफरल पर टीवी अंपायर बांग्लादेश के शरफ़ुद्दौला ने यशस्वी को आउट दे दिया। उनके इस फैसले से हंगामा मच गया क्योंकि स्निकोमीटर में किसी भी तरह का स्पाइक नज़र नहीं आया लेकिन गेंद बल्ले और ग्लोव्स के बेहद करीब से रास्ता बदलती हुई नज़र आयी और फिर टीवी अंपायर ने टेक्नोलॉजी की जगह अपनी आँखों पर भरोसा किया और यशस्वी को आउट घोषित किया। इस फैसले पर क्रिकेट जगत में अभी काफी दिनों तक चर्चा बनी रहेगी।
बहरहाल यशस्वी के आउट होते ही भारत की सभी उम्मीदें भी ख़त्म हो गयीं और पूरी टीम जल्द ही 155 रनों पर ढेर हो गयी. इस जीत के साथ जहाँ ऑस्ट्रेलिया WTC के फाइनल में पहुँचने के और करीब पहुँच गयी वहीँ टीम इंडिया की फाइनल में पहुँचने की उम्मीदें और धूमिल हो गयीं।