नई दिल्ली। देश में विनिर्माण क्षेत्र में इस साल तीन महीने में उन्नति हुई है। इन तीन महीनों में विनिर्माण क्षेत्र का इंडेक्स यानी पीएमआई इंडेक्स 56.4 पर पहुंच गया है। जो कि फरवरी माह में 55.3 पर था। यानी देश में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में तरक्की हो रही है। बताया जाता है कि मार्च में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां तीन महीने के उच्चतम स्तर पर, पीएमआई इंडेक्स 56.4 पर रही हैं।
एसएंडपी ग्लोबल भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक PMI मार्च माह में बढ़कर 56.4 पर पहुंच गया। इससे पहले फरवरी में यह 55.3 पर था। जो 2023 में अब तक परिचालन परिस्थितियों में सबसे मजबूत सुधार दर्शाता है।
नए आर्डर और उत्पादन में वृद्धि
नए ऑर्डर और उत्पादन में वृद्धि, मांग में आई मजबूती और लागत दबाव में कमी आने के बीच देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां मार्च महीने के दौरान तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। सोमवार को जारी मासिक सर्वेक्षण में यह कहा गया। एसएंडपी ग्लोबल भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक PMI मार्च माह में बढ़कर 56.4 पर पहुंच गया।
इससे पहले फरवरी में यह 55.3 पर था, जो 2023 में अब तक परिचालन परिस्थितियों में सबसे मजबूत सुधार दर्शाता है। मार्च के PMI आंकड़े के अनुसार, लगातार 21वें महीने के लिए समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार हुआ है। पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है कि कारोबारी गतिविधियों में विस्तार हुआ है, जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट हुई है।
उत्पादन में विस्तार और मांग मजबूत
अर्थशास्त्रियों की माने तो मार्च में भारतीय सामानों की अंतर्निहित मांग मजबूत रही है। उत्पादन में लगातार विस्तार हो रहा है और कंपनियों ने अपना भंडार बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। सर्वे के मुताबिक लागत संबंधी मुद्रास्फीति मार्च में ढाई साल के अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई और इसकी वजह आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव कम होना तथा कच्ची सामग्री की उपलब्धता बढ़ना है।
रिपोर्ट कहती है कि 96 प्रतिशत कंपनियों को फरवरी के बाद से लागत दबाव में कोई परिवर्तन महसूस नहीं हुआ है। जानकारों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में बिक्री के दाम और बढ़े हैं लेकिन मुद्रास्फीति की दर सामान्य है और लगभग फरवरी जितनी ही है। बिक्री बढ़ाने की खातिर शुल्क जस के तस रखे गए हैं।
पीएमआई में वृद्धि लेकिन रोजगार के मोर्चे पर गिरावट
रोजगार के मोर्चे पर, व्यापार में मामूली वृद्धि होने की वजह से कंपनियों ने नई भर्तियां नहीं की। जानकारों का कहना है कि कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं के पास पर्याप्त क्षमता है। काम का दबाव ज्यादा नहीं होने से मार्च में रोजगार सृजन प्रभावित हुआ। बता दें कि इससे पहले देश में बेरोजगारी दर के आंकडे़ जारी किए गए थे। जिसमें देश में बेरोजगारी दर को बढ़ी दर्शाया गया था।