नई दिल्ली। भारत ने आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है। अमेरिका और चीन की बात की जाए तो वहां की औसत उम्र 38 वर्ष है।
विश्व की आबादी का पांचवा हिस्सा भारत में
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत ने दुनिया की सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। दुनिया की लगभग 2.4% भूमि वाला देश भारत में विश्व की कुल आबादी का पांचवें हिस्सा है। भारत में अमेरिका, अफ्रीका या यूरोप की पूरी आबादी से अधिक लोग रहते हैं। एशिया के दो दिग्गज देशों की आबादी में ताजा बदलाव इनके आर्थिक और समाजिक तानेबाने के लिए चुनौती जैसा है।
भारत की बढ़ती आबादी का असर
भारत ना केवल दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है, बल्कि यूएन के आंकड़ों के अनुसार यहां दुनिया की सबसे युवा आबादी भी रहती है। भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है। ऐसे में भारत के पास वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि लाने की असीम संभावना है।
देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ी आबादी के मायने
लगातार बढ़ती आबादी भारत के लिए संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियों भी बढ़ा रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने जनवरी महीने में कहा था कि भारत 6.5-7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की क्षमता रखता है। देश की अर्थव्यवस्था 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। हालांकि बढ़ती आबादी सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने की राह का रोड़ा भी बन सकता है।
देश की आबादी के बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। पहले ही भारत में गरीबी, भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है। बढ़ती आबादी के साथ लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, बेहतर शिक्षा, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरों व गांवों को अधिक सुविधाजनक बनाना सरकार के लिए और भी बड़ी चुनौती होगी। रोज बढ़ती आबादी के साथ देश के सामने कई समस्याएं मुंह बाए खड़ीं हैं।