IND vs AUS WC 2023 Final Match Analysis: विश्व कप में अजेय भारतीय क्रिकेट टीम फाइनल का दबाव नहीं झेल सकी और आस्ट्रेलिया के सामने पूरी तरह से दबाव में आ गई। आस्ट्रेलिया ने एक बार फिर से अपने को साबित कर दिया। जिस गेंदबाजी के दम पर भारत फाइनल तक पहुंचा। वो अंतिम मैच में बिल्कुल बेअसर साबित हुई। फाइनल मैच के शुरुआती ओवरों में सीम और स्विंग जरूर देखने को मिली। लेकिन 15 ओवर के बाद ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजी पूरी तरह पिच पर जम गई। ट्रेविस हेड ने शानदार शतक लगाया और मार्नस लाबुशेन ने अर्धशतक लगाकर भारतीय गेंदबाजों को बेअसर कर दिया।
विश्व कप के फाइनल मैच में भारतीय गेंदबाजी ही नहीं बल्कि टीम इंडिया की बल्लेबाजी भी फ्लॉप साबित हुई। भारतीय गेंदबाजों ने जहां मैच से पहले विश्व कप में विपक्षी टीम को अपनी सीम और स्विंग से परेशान किया। फाइनल मैच में सीम और स्विंग पूरी तरह से गायब नजर आई।
शुभमन, श्रेयस और सूर्यकुमार की बेजान बल्लेबाजी
भारतीय टीम बल्लेबाजी के लिए उतरी थी, उस समय तेज गेंदबाजों को मदद नहीं मिल रही थी। शुभमन गिल ने खराब शॉट खेलकर विकेट गवाया, वहीं श्रेयस अय्यर कट लगाने के चक्कर में विकेटकीपर को कैच दे बैठे। आखिर में सूर्यकुमार के पास खेलने के लिए काफी ओवर थे। लेकिन वह कुछ न कर सके और मात्र 18 रन बनाकर लौट गए।
ऑस्ट्रेलिया की बेहतरीन फील्डिंग
फाइनल से पहले ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग, बॉलिंग या फील्डिंग कुछ खास नहीं थी। हालांकि, फाइनल में कंगारुओं ने गजब की फील्डिंग की। उन्होंने कई चौके बचाए और भारतीय खिलाड़ियों को सिंगल लेने से रोका। ऐसा लग रहा था कि मैदान पर 15-20 खिलाड़ी फील्डिंग में हैं। उनकी फील्डिंग की वजह से भारत पूरे मैच में सिर्फ 13 चौके ही लगा पाया। 11 से 50 ओवर के बीच तो भारत सिर्फ चार चौके लगाए।
मिडिल ओवर्स में बाउंड्री की कमी
पूरे विश्वकप के टूर्नामेंट में विस्फोटक बल्लेबाजी करने वाली भारतीय टीम की पोल फाइनल में खुल ही गई। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले फाइनल मैच में टीम इंडिया ने आक्रामक शुरुआत की। बीच के ओवरों में भारतीय पारी पटरी से उतर गई। टीम इंडिया को इसी का खमियाजा भुगतना पड़ा। जहां पिछले मैचों में भारत के मध्यक्रम ने शुरुआत में जल्दी विकेट गिरने पर पारी को संभाल लिया। लेकिन फाइनल मैच में ऐसा नहीं हो सका। भारतीय मध्यक्रम ने पारी संभालने की कोशिश की, लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट गिरने से नहीं रोक सके। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने यह खाया कि पार्ट टाइम गेंदबाज किसी मैच में कितना प्रभाव डालते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के पास गेंदबाजी के कई विकल्प
ऑस्ट्रेलिया के लिए फाइनल मैच में तीन पार्ट टाइमर्स ने गेंदबाजी की। इनमें ग्लेन मैक्सवेल, मिचेल मार्श और ट्रेविस हेड हैं। इन्होंने 10 ओवर में 44 रन देकर रोहित का विकेट निकालने में सफलता पाई। उन्हें मैक्सवेल ने कैच कराया। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान कमिंस ने बताया कि टीम में अतिरिक्त गेंदबाज होना फायदेमंद होता है। तीन पार्ट टाइमर्स की किफायती गेंदबाजी मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। तीन विकेट गिरने के बाद भारत के पांचों गेंदबाज विकेट के लिए जूझते दिखे। ऐसे में टीम इंडिया को छठे गेंदबाज की कमी खलती। हार्दिक पांड्या की कमी इस मैच में खली। हार्दिक बल्लेबाजी विकल्प के साथ गेंदबाजी का विकल्प देते हैं।
मध्य ओवरों में भारत की खराब गेंदबाजी
भारत ने गेंदबाजी की शुरुआत अच्छी की थी, लेकिन मैच के प्लान में कुछ बदलाव किया गया। जहां शमी को पहले एक चेंज के रूप में लाया जा रहा था। मैच में शमी बुमराह के बाद दूसरा ओवर लेकर आए। उन्होंने काफी एक्स्ट्रा रन लुटाए।
भारत की खराब विकेटकीपिंग-फील्डिंग
मैच में राहुल ने काफी खराब विकेटकीपिंग की। उनके अगल बगल से गेंद निकलती रही और इस तरह भारत के हाथों से मैच निकलता रहा।
जहां एक तरफ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने फील्डिंग में सबकुछ झोंक दिया। वहीं भारतीय खिलाड़ी मैदान पर फील्डिंग में बहुत खराब रहे। उन्होंने एफर्ट नहीं लगाया और उनके सामने से चौके निकलते रहे।
ट्रेविस हेड ने भारत को हराया
ट्रेविस हेड ने एक बार फिर भारत को हराया। इससे पहले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के 2023 फाइनल में ट्रेविस हेड भारत की हार का कारण बने थे। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में 174 गेंद में 163 रन की पारी खेली थी।
स्पिनर्स बेअसर नहीं ले सके कोई विकेट
फाइनल मैच में भारतीय स्पिनर्स कोई विकेट नहीं ले पाए। यह इस पूरे विश्वकप में पहली बार है जब भारतीय स्पिनर्स कोई विकेट नहीं ले सके। कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा की गेंद पर ट्रेविस हेड ने जमकर रन बनाए।
किस्मत ने भी नहीं दिया साथ
इससे पहले तीन मैचों में भारत ने टॉस जीता। हालांकि, फाइनल में भारतीय टीम टॉस नहीं जीत सकी। भले ही रोहित शर्मा ने कहा हो कि वह पहले बल्लेबाजी करना चाहते थे। लेकिन यह तो ऊपर वाला जानता है कि रोहित क्या फैसला लेते। इसके अलावा भारतीय गेंदबाजों का साथ किस्मत ने नहीं दिया। 28वें ओवर में जसप्रीत बुमराह की गेंद सीधे जाकर लाबुशेन के पैड पर लगी। डीआरएस में अंपायर्स कॉल हुआ। अगर उस समय एक विकेट मिलता तो भारतीय टीम पासा पलट सकती थी।