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आरम्भ होगा प्रचंड

आर्टिकल/इंटरव्यूआरम्भ होगा प्रचंड

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अमित बिश्नोई

वार्म अप मैचों का मनोरंजक और निरर्थक दौर ख़त्म हो चुका है और अब मैदानों पर असली जंग की बारी है जिसकी शुरुआत 5 अक्टूबर को हो रही है, यानि बस कुछ घंटों के बाद क्रिकेट के महाकुम्भ की रणभेरी बजेगी और पिछले विश्व कप की फाइनल मुकाबले की दोनों टीमें प्रचंड आरंभ करेंगी। पिछले फ़ाइनल की दोनों टीमें इंग्लैंड और न्यूज़ीलैण्ड ने 2019 में जहाँ पर अंत किया था, 2023 में वहीँ से शुरुआत करेंगी। पिछले फाइनल का रोमांच और ड्रामा चार साल भी क्रिकेट प्रेमियों को अच्छी तरह याद होगा और कीवियों को तो बीते चार सालों का एक एक पल भूला नहीं होगा. नियमों ने किस तरह से उनसे खिताब छीना था, वो कैसे भूल सकते हैं. क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहला मुकाबला हुआ जहाँ चैंपियन का फैसला इस बात से हुआ कि किस टीम ने चौके ज़्यादा मारे। मगर नियम तो नियम था, जिसने इंग्लैंड को चैंपियन बना दिया और न्यूज़ीलैण्ड को पहले विश्व खिताब से महरूम कर दिया। बेशक दोनों टीमों के बीच कल खेला जाना वाला मैच इस विश्व कप का उद्घाटन मैच होगा लेकिन कहीं न कहीं पिछले फाइनल का टशन इस मैच में देखा जा सकता है, ऐसा होता है तो क्रिकेट प्रेमियों के इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।

दोनों ही टीमें बेहद संतुलित हैं. केन विलियम्सन की टीम में वापसी से न्यूज़ीलैण्ड को बड़ी ताकत मिली है, पांच महीने बाद वो सीधे विश्व कप जैसे टूर्नामेंट में उतर रहे हैं और वार्म अप मेंचों में उन्होंने इस बात की झलक भी दिखा दी है कि कितने अच्छे टच में, उनकी मौजूदगी टीम के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। डेरिल मिचेल, कान्वे, चैपमैन, ग्लेन फिलिप्स ज़बरदस्त फॉर्म में हैं और जिमि नीशाम, लैथम बल्लेबाज़ी को और मज़बूत बनाते हैं. इसके अलावा रचिन रविंद्र ने पाकिस्तान के खिलाफ बल्ले से जो जौहर दिखाए वो टीम के लिए बोनस है. गेंदबाज़ी भी निस्संदेह शानदार है, ट्रेंट बोल्ट, जेमेसन, फर्गुसन, मैट हेनरी के रूप में ज़बरदस्त तेज़ आक्रमण है और इसे जिमी नीशाम, डेरिल मिचेल की मध्यम तेज़ गेंदबाज़ी और भी प्रभावशाली बनाती है. कीवी टीम के पास शानदार स्पिन आक्रमण भी मौजूद है, ईश सोढ़ी, मिचेल सेंटनेर अब स्थापित स्पिनर बन चुके हैं, पार्ट टाइम स्पिनर के रूप में ग्लेन फिलिप्स और रचिन रविंद्र टीम की भरपूर मदद कर सकते हैं. न्यूज़ीलैण्ड की टीम एक ऐसी टीम है जिसने विश्व कप भले ही नहीं जीता हो लेकिन उसका अंतिम चार में पहुंचना लगभग पक्का माना जाता है।

बात इंग्लैंड की करें तो बेशक बेज़बाल थ्योरी अपनाने के बाद इस टीम में ऐसा बदलाव आया, जिसने इसे एक चैंपियन टीम बना दिया। इस समय सफ़ेद बाल क्रिकेट के दोनों विश्व खिताब उनके पास हैं और इसबार भी खिताब जीतने के प्रबल दावेदारों में से एक हैं. इस विश्व कप में शामिल होने वाली कुछ संतुलित टीमों की तरह इंग्लैंड की टीम भी एक बैलेंस टीम हैं जिसमें क्वालिटी आल राउंडर की मौजूदगी उसे अलग बनाती है, बेन स्टोक्स की ODI क्रिकेट में वापसी से टीम को और ताकत मिली है। स्टोक्स अकेले दम पर मैच पलटने की ताकत रखते हैं और ये उन्होंने कई बार कर दिखाया है. कप्तान जोस बटलर, जॉनी बेयरस्टो, डेविड मलान, जो रुट, हैरी ब्रूक के रूप में एक लम्बी फ़ौज है बल्लेबाज़ों की. लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली और क्रिस वोक्स जैसे आल राउंडर टीम की विशेषता हैं. हाँ बल्लेबाज़ी की तुलना में गेंदबाज़ी शायद उतनी दमदार नहीं लेकिन संतुलित ज़रूर है लेकिन इंग्लैंड की टीम अब अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए जानी जाती है, चाहे लक्ष्य खड़ा करना हो या लक्ष्य का पीछा करना। कुल मिलाकर एक शानदार और रोमांचक उद्घाटन मैच देखने को मिल सकता है.

मेज़बान भारत की बात करें तो सैकड़ों किलोमीटर का सफर करने के बावजूद भी उसके हाथ निराशा ही लगी, उसके दोनों वार्म आप मैच बारिश से धुल गए, अब उसे 8 अक्टूबर को सीधे ऑस्ट्रेलिया से भिड़ना है, जिसे उसने विश्व कप से ठीक पहले 2-1 से धूल चटाई थी. इस मैच पर बात अगले लेख में करेंगे हाँ थोड़ी बात वार्म अप मैचों की ज़रूर करना चाहेंगे। वार्म अप मैच इसीलिए कराये जाते हैं कि टीमें मेन टूर्नामेंट से पहले चार्ज हो जायँ, बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों को अच्छी मैच प्रैक्टिस मिले। उन खिलाडियों आज़माने का मौका भी मिले जो अंतिम 11 में आने के लिए संघर्ष कर रहे हों. लेकिन इस बार के वार्म आप मैचों को अगर देखें तो खिताब की दावेदार टीमों ने अपने मुख्य गेंदबाज़ों की जगह पार्ट टाइम गेंदबाज़ों को ज़्यादा मौका दिया, अब पाकिस्तान-ऑस्ट्रेलिया के मैच को ही अगर लें तो लाबुशाने ने 9 ओवर, स्टीव स्मिथ ने चार और डेविड वार्नर ने दो ओवर गेंदबाज़ी की. अब इन गेंदबाज़ों की गेंदबाज़ी पर बाबर और इफ्तिखार के बनाये गए रनों के क्या मायने हैं. भारत के तो खैर दोनों ही प्रेक्टिस मैच धुल गए लेकिन बाकी मैचों में यही नज़ारा देखा गया. अब पार्ट टाइम गेंदबाज़ों पर क्या बैटिंग प्रेक्टिस हो सकती है. जब दूसरी टीम के मुख्य गेंदबाज़ों को खेलना ही नहीं है तो इससे कहीं बेहतर अपने ही मुख्य गेंदबाज़ों के साथ नेट पर पसीना होता। इस बार का फॉर्मेट ही ऐसा है कि सभी टीमों को एक दूसरे से मुकाबला करना है तो ऐसे में कोई भी टीम अपने मुख्य हथियारों की नुमाइश क्यों करेगी? क्यों इंजरी का जोखिम लेगी?

बहरहाल अब कमर की पेटी कस लीजिये, क्योंकि विश्व कप का विमान उड़ान भरने को तैयार है. अगले डेढ़ महीने विश्व कप के इस सफर का आनंद लीजिये। आरम्भ प्रचंड होने वाला है.

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