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इब्तेदाए इश्क़ है रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या?

आर्टिकल/इंटरव्यूइब्तेदाए इश्क़ है रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या?

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अमित बिश्नोई

इब्तेदाए इश्क़ है रोता है क्या
आगे देखिये होता है क्या ?

कल जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी जब लोकसभा में भाषण दे रहे थे और उस डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी समेत उनके कई मंत्री और उनके सांसद जिस तरह बार बार खड़े होकर उनके टोक रहे थे, मीर तक़ी मीर का ये शेर उस नज़ारे पर एकदम सटीक बैठ रहा था. बकौल राहुल गाँधी, तीर बिलकुल निशाने पर बैठ रहा था. राहुल गाँधी ने इससे पूर्व संसद में बहुत से भाषण दिए जो सत्ता पक्ष के लिए बहुत तीखे और प्रधानमंत्री मोदी को काफी विचलित करने वाले थे लेकिन नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी के कल के भाषण से प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से विचलित हुए ऐसा उनके पिछले दस वर्षों के कार्यकाल में कभी नहीं देखा गया, ये पहली बार था जब विपक्ष के किसी नेता के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री को दो बार खड़े होकर अपना विरोध दर्ज कराना पड़ा हो . संसद की कार्रवाई के दौरान ये एक विलक्षण नज़ारा था. पहली नज़र में देखा जाय तो राहुल गाँधी सब पर भारी पड़ते दिखाई दिए, प्रधानमंत्री समेत एक दो नहीं बल्कि सात मंत्रियों को बार बार राहुल गाँधी के भाषण के दौरान उठना पड़ा, सांसदों द्वारा पैदा किये गए व्यवधान की तो कोई गिनती नहीं है.

सवाल ये उठता है कि क्या सरकार को ये नहीं मालूम था कि राहुल गाँधी संसद में सरकार को लेकर कितना आक्रमक रहते हैं और इसबार तो वो नेता प्रतिपक्ष भी हैं, यानी की पहले से ज़्यादा ताकतवर। लेकिन यहाँ पर राहुल गाँधी कल सरकार की सोच से आगे निकल गए, सरकार ने सोचा होगा कि राहुल गाँधी NEET के मुद्दे पर बोलेंगे, अग्निवीर के मुद्दे पर बोलेंगे, मणिपुर के मुद्दे पर घेरेंगे, मंहगाई और बेरोज़गारी को मुद्दा बनायेगे, पेपर लीक की बात उठाएंगे लेकिन सरकार ने ये नहीं सोचा होगा कि राहुल गाँधी शिव जी को अपना हथियार बनायेगे, वो शिव जी के बहाने भाजपा के हिंदुत्व को ललकारेंगे, वो इस बात को लोगों के बीच पहुँचाने में कामयाब हो जायेंगे भाजपा का हिंदुत्व देश का हिंदुत्व नहीं है। मोदी जी ने ये नहीं सोचा होगा कि जिसको पप्पू साबित करने के लिए उन्होंने हज़ारों करोड़ खर्च कर डाले वो एक दिन देश को ये बताने में कामयाब हो जायेगा कि मोदी पूरे देश का हिन्दू समाज नहीं हैं , भाजपा पूरे देश का हिन्दू समाज नहीं है, आरएसएस पूरे देश के हिन्दू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करता। ये बात इतनी तीखी थी कि प्रधानमंत्री अपने आसान से उठे बिना नहीं रह सके.

राहुल गाँधी ने अपने भाषण में मौजूदा दौर के सभी ज्वलंत मुद्दों को उठाया मगर हिंदुत्व पर बातें करके वो संसद में भाजपा, सरकार और प्रधानमंत्री को घेरेंगे, इसके बारे में तो शायद किसी ने भी सोचा होगा। आम तौर पर कांग्रेस पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर ज़्यादा बोलने से बचती रही है लेकिन राहुल गाँधी ने अपने भाषण के 9 मिनट इसको दिए और सत्ता पक्ष में बैठे हुए लोगों को बौखला कर रख दिया। हालाँकि जैसे कि माना जा रहा था कि राहुल गाँधी के इस बेहद तीखे भाषण पर स्पीकर की कैंची चलेगी, हुआ भी ठीक वैसा ही और राहुल गाँधी के कल भाषण में कही गयी बातों के चार हिस्सों को हटा दिया गया लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इंटरनेट के इस ज़माने में राहुल गाँधी के भाषण की वो क्लिप शायद देश के हर मोबाइल फोन पर पहुँच गयी होगी। सरकार ने भले ही राहुल के भाषण के वो हिस्से हटा दिए जिसने प्रधानमंत्री मोदी को उठने पर मजबूर कर दिया लेकिन वो सारे हिस्से उससे पहले ही सोशल मीडिया पर महफूज़ हो चुके हैं. भाजपा का आईटी सेल भले ही राहुल के भाषण के उस हिस्से को अपनी तरह से सम्पादित करके सोशल मीडिया पर वायरल कर रहा हो और बता रहा हो कि राहुल गाँधी हिन्दू विरोधी हैं लेकिन ओरिजिनल और पूरा वीडियो लोगों की पहुँच तक पहुँच चूका है और लोग जान चुके हैं राहुल गाँधी ने सत्ता पक्ष के लोगों को क्यों कहा कि तुम हिन्दू हो ही नहीं क्योंकि हिन्दू कभी हिंसक नहीं हो सकता।

कल के भाषण में राहुल गाँधी का आसन से ये सवाल करना कि क्या शिव जी का पोस्टर संसद में लाना या दिखाना गलत है, स्पीकर और ट्रेज़री बेंच को परेशान करने वाला था, राहुल गाँधी टोकने के बावजूद बार बार शिव जी का फोटो दिखाकर अहिंसा का पाठ पढ़ा रहे थे. राहुल गाँधी के इस दांव से स्पीकर महोदय भी कुछ कर नहीं पा रहे थे, ऐसा लग रहा था कि वो राहुल को रोकना तो चाह रहे हैं लेकिन रोक नहीं पा रहे हैं यही वजह थी कि गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दूसरे कई मंत्री स्पीकर से गुहार लगा रहे थे कि उनकी रक्षा की जाय लेकिन स्पीकर ओम बिरला राहुल के तीखे तीरों से उनकी रक्षा कर पाने में असहाय से नज़र आ रहे थे. वो बार बार राहुल गाँधी को यही समझाते हुए नज़र आये कि आप नेता प्रतिपक्ष हो इसलिए नियमों से अलग बात करना आपको शोभा नहीं देता। मोदी काल में ऐसा पहली बार देखा गया कि सत्ता पक्ष स्पीकर से रक्षा करने की गुहार लगा रहा है.

राहुल गाँधी की परिपक्वता की एक झलक तब देखने को मिली जब उन्होंने स्पीकर पर प्रधानमंत्री मोदी के सामने झुकने का आरोप लगा दिया और स्पीकर को उसपर अपनी सफाई देनी पड़ी कि उनकी संस्कृति उन्हें ऐसा करने के लिए लिए कहती है क्योंकि प्रधानमंत्री बड़े हैं और तब राहुल गाँधी उन्हें याद दिलाते हैं कि सदन के अंदर तो आप सबसे बड़े हैं, आपसे बड़ा सदन में कोई नहीं हो सकता। इसलिए सभी को आपके सामने झुकना चाहिए न कि आपको किसी के सामने झुकने की ज़रुरत है. राहुल गाँधी कुछ इस तरह की बात भी उठा सकते हैं इसके बारे में भी किसी ने नहीं सोचा होगा, यही वजह है कि कहीं न कहीं स्पीकर ओम बिरला को भी ये बात पसंद आयी होगी, भले ही वो इसका इज़हार न करें। कुल मिलाकर नेता प्रतिपक्ष के रूप राहुल गाँधी के पहले भाषण की देश विदेश में चर्चा है, ये अलग बात है कि भाजपा राहुल गाँधी के हिन्दू वाले हिस्से को मुद्दा बना रही है लेकिन कांग्रेस ने भी अब सोच लिया कि चलो हिंदुत्व पर भी दो दो हाथ हो जाय.

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