खाटू श्याम को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार बताया गया है। खाटू श्याम भगवान के न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में कई भक्त हैं। खाटू श्याम के यूं तो कई मंदिर हैं लेकिन उनका एक ऐसा प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर है जिसे कलयुग में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। जिसे चुलकाना धाम के नाम से जाना जाता है। आज भी वह पीपल का पेड़ यहीं स्थित है जिसके सारे पत्ते खाटू श्याम ने एक ही बाण से तोड़ दिये थे। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में.
लोग चुलकाना धाम में मौजूद उस पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि इस पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जानें कैसे दिखा चमत्कार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, घटोत्कच भीम का पुत्र था जिसका विवाह राक्षसी कन्या कामकटंकटा से हुआ था। उनका बर्बरीक नाम का एक पुत्र था। भगवान शिव और विजया माता की कृपा से बर्बरीक को अनेक अद्वितीय शक्तियां प्राप्त थीं। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने घोषणा की थी कि जो भी पक्ष हारेगा, वह उसकी तरफ से युद्ध में शामिल होंगे। तब श्रीकृष्ण चिंतित हो गए और उनकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए अर्जुन और श्रीकृष्ण वहां उपस्थित हुए। तब बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार एक ही बाण से सभी पत्तों को भेद दिए । जब तीर एक-एक करके सभी पत्तों को छेदता जा रहा था। तभी एक पत्ता टूट कर नीचे गिर गया. कृष्ण ने उस पर पैर रख दिया कि वह बच जाएगा। लेकिन, तीर भगवान कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया। तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता है, मैंने तीर को केवल पत्तों को छेदने का आदेश दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण चिंतित हो गए और फिर सुबह ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक के शिविर के पास पहुंचे और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा कि ब्राह्मण क्या चाहते हैं? कृष्ण ने कहा कि तुम नहीं दे पाओगे. तभी श्री कृष्ण ने उनसे उसका शीश देने को कहा बर्बरीक ने बिना कोई सवाल किये भगवान को अपना शीश दे दिया।
बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर श्री कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे। कलयुग में लोग तुमको खाटू श्याम के नाम से जानेंगे। इसलिए चुलकाना धाम की बहुत मान्यता है , और लोग दूर- दूर से यहाँ बाबा के दर्शन करने आते है।