नई दिल्ली। फर्राटा धाविका हिमा दास टोक्यो ओलिंपिक के लिये अभी तक क्वालिफाई नहीं कर पाने के बावजूद चिंतित नहीं हैं. उन्होंने अपनी ट्रेनिंग में साइकिलिंग और थोड़ा क्रिकेट भी शामिल किया है जबकि तेज गर्मी से बचने के लिये सावधानी भी बरत रही हैं. कोविड-19 महामारी के कारण निकट भविष्य में कोई टूर्नामेंट नहीं है इसलिये हिमा ज्यादा जल्दबाजी में नहीं हैं. उन्होंने एनआईएस पटियाला से कहा, ‘अभी कोई टूर्नामेंट नहीं है और हम न ही कम स्तर वाली ट्रेनिंग कर रहे हैं और न ही काफी तेज. हम सिर्फ मध्यम स्तर की ट्रेनिंग कर रहे हैं. देखते हैं हम अपनी ट्रेनिंग को रफ्तार कब देंगे. ’
क्रिकेट बॉल से गेंदबाजी करती हैं हिमा दास
उन्होंने कहा, ‘यहां काफी ज्यादा गर्मी है इसलिये हम केवल सुबह ही ट्रेनिंग करते हैं. शाम में हमारे पास खाली समय होता है तो मैं वेलोड्रोम में साइकिलिंग भी करती हूं और यहां तक कि क्रिकेट गेंद से गेंदबाजी भी करती हूं. ’ हिमा ने कहा, ‘मैं आनंद लेने की कोशिश कर रही हूं. मेरा लक्ष्य ‘सकारात्मक और खुश रहना’ है. ’
एक साल तल चुके हैं ओलंपिक
महामारी के कारण टोक्यो ओलिंपिक एक साल के लिये स्थगित हो चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय सत्र वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कारण 30 नवंबर तक निलंबित है. 400 मीटर में मौजूदा जूनियर विश्व चैम्पियन हिमा ने कहा, ‘‘मैं ओलिंपिक क्वालीफिकेशन के बारे में चिंतित नहीं हूं, इससे केवल तनाव ही पैदा होगा. ओलिंपिक के लिये अभी एक साल बाकी है. ’
दिसंबर से शुरू होगा ओलिंपिक क्वालिफिकेशन
उन्होंने कहा, ‘हमें इस महामारी के जल्दी से खत्म होने की प्रार्थना करनी चाहिए. फिर एक दिसंबर से एथलेटिक्स सत्र शुरू होगा और ओलिंपिक के लिये क्वालीफाई करने के लिये अगले साल काफी समय बचा है. ’ दो साल पहले उन्होंने फिनलैंड में विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. ‘धिंग एक्सप्रेस’ के नाम से मशहूर 20 साल की हिमा विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. उनका 400 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड (50.79 सेकेंड) है.
चोट से उबर रहीं दास
पिछले कुछ समय से पीठ के निचले हिस्से की चोट उन्हें काफी परेशानी कर रही है जिससे ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं कि वह भविष्य में 400 मीटर में नहीं दौड़ पायेंगी और उन्हें शायद 200 मीटर में ही भाग लेना होगा. इसके बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मैं चोट से उबर रही हूं. मेरे कोच और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ जो कुछ फैसला करेंगे, मैं वैसा ही करूंगी. वे फैसला करेंगे कि मैं किसमें दौड़ूं.’