उत्तर भारत के राज्यों में पिछले कुछ दिनों में शमशानों में शवों के आने की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ गयी है, साथ ही अस्पतालों में मरीज़ों की संख्या में भी काफी इज़ाफ़ा हुआ है, अगर पिछले 20 दिनों की बात करें तो दिल्ली के निगम बोध शमशान घाट पर 1200 शव अंतिम संस्कार के लिए आये. ये आंकड़े काफी डरावने हैं क्योंकि इनमें से अधिकतर लोगों की जान तेज़ गर्मी और लू लगने से गयी. नॉएडा की बात करें तो वहां भी दिल्ली जैसे ही हालात हैं, वहां भी शमशान घाटों पर मुर्दों को जलाने के लिए एक्स्ट्रा स्टाफ की ज़रुरत पड़ रही है.
उत्तर भारत समेत देश के अन्य हिस्सों में गर्मी और लू को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है, स्कूल बंद हैं लेकिन कालेज खोल दिए गए है मगर वहां भी अनुपस्थिति बनी हुई, यही हाल सरकारी विभागों का भी है, मेज़ पर कर्मचारी और कमरों में अधिकारी नदारद मिल रहे हैं. काम ठप्प पड़े हुए हैं. अस्पतालों में गर्मी से जुडी बीमारियों से परेशान मरीज़ों की संख्या बढ़ गयी है.
दिल्ली एनसीआर के हिंडन शमशान घाट पर शवों की लम्बी कतारें है, परिजन इस झुलसती गर्मी में अपने प्रियजन के अंतिम संस्कार के इंतज़ार में हैं. शमसान घाट के कर्मचारियों के मुताबिक पिछले एक हफ्ते से यहाँ पर 30- 40 शव रोज़ आ रहे हैं. पता करने पर परिजन यही बताते हैं कि गर्मी की वजह से जान गयी. हालत इतनी खराब है कि व्यवस्था संभालने के लिए पुलिस की मदद ली जा रही है क्योंकि सभी चाहते हैं कि उनके प्रियजन का अंतिम संस्कार जल्द हो जाय. भीड़ को देखते हुए जगह और कर्मचारी दोनों कम पड़ रहे है, बिलकुल कोविड काल जैसा माहौल दिखाई दे रहा है. नॉएडा में पोस्टमॉर्टेम हाउस का नज़ारा भी कुछ ऐसा है, यहाँ भी लाशों की कतारें शवविच्छेदन के लिए लगी हुई हैं. मौसम के हालात अगर कुछ दिन और ऐसे रहे तो आपातकाल जैसी परिस्थितियां पैदा हो जाएँगी।