चुनाव आयुक्तों के लिए बनी चयन समिति के तीसरे सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया है कि मोदी सरकार ने दो चुनाव आयुक्तों के नाम फाइनल कर लिए हैं और ये नाम हैं केरल के ज्ञानेश कुमार, पंजाब के सुखबीर संधू। अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि दोनों नाम पहले से तय थे, मुझे तो सिर्फ नाम के लिए बुलाया गया था. बता दें कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने 9 मार्च को अचानक अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और अनूप चंद्र पांडेय पहले ही रिटायर हो चुके थे. ऐसे में निर्वाचन में अकेल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रह गए थे.
चुनाव आयुक्त चुनने के लिए चयन समिति की बैठक पहले शुक्रवार को होनी थी लेकिन बाद में उसमें बदलाव कर आज ही बैठक बुलाई गयी. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल के अलावा अधीर रंजन चौधरी शामिल हुए. बैठक के बाद चौधरी ने मीडिया को चुनाव आयुक्तों के चयन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सुखबीर संधू और ज्ञानेश कुमार को चुनाव आयुक्त बनाया गया हैं। अधीर रंजन ने पूरी प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए कहा का कहना है कि उन्हें 212 नाम दिए गए थे लेकिन नियुक्ति से ठीक पहले उन्हें छह नाम दिए। चौधरी ने कहा कि सरकार ने कानून ही ऐसा बनाया है कि वो अपने अनुकूल चयन कर सकती है, विरोध या असंतोष का वहां कोई मतलब ही नहीं. शार्ट लिस्ट हुए चार और नाम उत्पल कुमार सिंह, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, इंदीवर पांडे और सुधीर कुमार गंगाधर रहाटे का था सभी पूर्व नौकरशाह थे।
ज्ञानेश कुमार सहकारिता मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए थे. वो गृह मंत्री अमित शाह के काफी करीबी बताये जाते हैं. सहकारिता मंत्रालय से पहले ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी (कश्मीर डिवीजन) थे. जम्मू कश्मीर से 370 हटाने के वक्त ज्ञानेश कुमार होम मिनिस्ट्री में जॉइंट सेक्रेटरी थे. बाद में वह प्रमोशन पाकर एडिशनल सेक्रेटरी भी बने. वहीँ पूर्व आईएएस अधिकारी सुखबीर संधू हैं. संधू भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHI) के अध्यक्ष के रूप में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे.