गुजरात:- गुजरात मे होने वाली आगामी विधानसभा चुनाव की तारीख की अभी भले ही औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन राजनीतिक दलों ने यहां अपनी जीत का झंडा फहराने की पूरी योजना बना ली है और यह अपने लक्ष्य को भेदने के लिए आय दिन अपनी रणनीति में परिवर्तन कर जनता को लुभाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वही अगर यहां के हम मजबूत दल की बात करे तो यह8कांग्रेस और भाजपा की बेहतर पकड़ है। हालाकि पांच राज्यों में मिली कांग्रेस को हार के बाद अब कांग्रेस के पास गुजरात मे खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती बनी हुई है।
क्यों गुजरात विधानसभा में इस सींट से भाजपा के हारने की सम्भावना अधिक
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वही अगर हम गुजरात विधानसभा पर ध्यान केंद्रित करें तो यहां के चुनावी चक्रव्यूह को समझना बेहद मुश्किल है क्योंकि यहां की जनता के मूड को कोई भी राजनीतिक रणनीतिकार नहीं समझ सकता है। लेकिन यहाँ एक विधानसभा सींट ऐसी भी है जहां से किसी भी दल का एक प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद वहां से दोबारा चुनाव नहीं जीत पाया।
वर्ष 1962 से लेकर अब तक के इतिहास पर अगर ध्यान केंद्रित करें तो गुजरात के डभोई विधानसभा का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां से एक बार विधायक बनने के बाद प्रत्याशी को दोबारा वहाँ जीतने का मौका नहीं मिला। यह गुजरात की ऐसी विधानसभा है जो मुस्लिम बाहुल्य है इस विधानसभा पर वैसे तो कांग्रेस का आधिपत्य माना जाता है और कहा जाता है यहां का वोट बैंक कांग्रेस के खेमे में है लेकिन वर्तमान में यहां भाजपा का विधायक है। लेकिन अगर हम केंद्रीकृत परिपेक्ष्य को समझे तो आगामी समय मे इस सींट पर भाजपा की जीत होना असंभव सा है।
इस सींट से भाजपा के हारने के दो मुख्य कारण सामने आ रहे हैं पहला तो इस विधानसभा सींट का पुराना इतिहास की यहां से विधायक की वापसी दोबारा नहीं होती। दूसरी मुस्लिम की बहुलता और उनका कांग्रेस के प्रति रुझान। अगर हम मुस्लिम वोट बैंक की बात करे तो देश मे इस समय मुस्लिम और हिन्दू के मध्य जो मतभेद हो रहा है उसके चलते मुस्लिम वोट बैंक भाजपा से रुष्ट है जिसका खामियाजा भाजपा को गुजरात विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है।