GST intelligence: GST इंटेलिजेंस ने खुलासा किया है कि वित्त वर्ष 2024 में 1.36 लाख करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी हुई है। DGGI ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) दावा करने पर अंकुश लगाने और राजस्व में सेंधमारी रोकने के लिए 2020 नवंबर से विशेष अभियान शुरू किया था।
वित्त मंत्रालय ने यह खुलासा किया कि वस्तु एवं सेवा कर खुफिया महानिदेशालय(DGGI)ने चालू वित्त वर्ष में 1.36 लाख करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का पता लगाया। जिसमें से 14,108 करोड़ रुपए की वसूली की गई। आंकड़े में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले शामिल हैं। जिनकी कीमत 14,000 करोड़ रुपए बताई गई है। अब तक जीएसटी धोखाधड़ी में शामिल 91 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
GST इंटेलिजेंस सिंडिकेट की पहचान में जुटी
वित्त मंत्रालय ने बताया कि DGGI अनुपालन को मजबूत करने और धोखाधड़ी करने वाली गतिविधियों की पहचान के लिए डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि जून 2023 से, जांच एजेंसी ने देश भर में सिंडिकेट के मास्टरमाइंडों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्नत तकनीकी उपकरणों ने डेटा विश्लेषण में सहायता की है। जिससे टैक्स चोरों की गिरफ्तारी हुई है।
फर्जी टैक्स क्रेडिट की पहचान के लिए DGGI का विशेष अभियान
DGGI ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने पर रोक लगाने और राजस्व में सेंधमारी रोकने को विशेष अभियान शुरू किया है। यह अभियान अभी चल रहा है। अप्रैल 2020 से सितंबर 2023 के बीच इसने 57,000 करोड़ रुपए से अधिक की GST चोरी से जुड़े 6,000 से फर्जी ITC मामलों का खुलासा किया है। जिसके परिणामस्वरूप 500 गिरफ्तारियां की गई हुईं।
गलत तरीके से KYC डिटेल हासिल करता है सिंडिकेट
टैक्स चोरी करने वाला सिंडिकेट पूरे देश में फैला हुआ है। सिडिकेट मास्टरमाइंड आमतौर पर संदिग्ध व्यक्तियों का शोषण करता है। उन्हें अपने ‘ग्राहक को जानें’ (KYC) कागजात प्राप्त करने के लिए नौकरी की पेशकश, कमीशन, लोन का लालच देते हैं। इसके बाद इन कागजातों का उपयोग व्यक्ति की सहमति के बिना धोखाधड़ी वाली फर्में या कंपनियां के लिए किया जाता है। कुछ मामलों में, लोग मामूली वित्तीय लाभ के बदले जानबूझकर KYC डिटेल को दे देते हैं।