depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा: राहुल गाँधी

फीचर्डसरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा: राहुल गाँधी

Date:


सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा: राहुल गाँधी

नई दिल्ली: देश में चल रहे कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अलग-अलग राज्यों के पत्रकारों से इस विषय पर चर्चा की । शनिवार को राहुल गांधी ने कहा कि सरकार की मदद कर्ज का पैकेट नहीं होना चाहिए। किसान, प्रवासी मजदूरों की जेब में सीधा पैसा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है। बच्चा जब रोता है तो मां उसे लोन नहीं देती, उसे चुप कराने का उपाय निकालती है, उसे ट्रीट देती है। सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा। ऐसे लोगों के लिए सरकार, विपक्ष और मीडिया सभी को मिलकर काम करना चाहिए। प्रभावित सभी लोगों के बैंक अकाउंट में सरकार को सीधे पैसे भेजना चाहिए।’

कर्ज की नहीं, सीधी आर्थिक मदद की जरूरत
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करें और लोगों के खातों में सीधे पैसे डालें क्योंकि इस वक्त उन्हें कर्ज की नहीं, बल्कि सीधी आर्थिक मदद की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को लॉकडाउन को समझदारी एवं सावधानी के साथ खोलने की जरूरत है और बुजुर्गों एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए
गांधी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘ जो पैकेज होना चाहिए था वो कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मेरी निराशा है। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आप (सरकार) कर्ज दीजिए, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए। इस वक्त गरीबों, किसानों और मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं, पैसे की जरूरत है।’’

पैकेज पर पुनर्विचार करे सरकार
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ मैं विनती करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसे देने के बारे में सोचिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा तो बाहर की एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग कम कर देंगी। हमारी रेटिंग मजदूर, किसान, छोटे कारोबारी बनाते हैं। इसलिए रेटिंग के बारे में मत सोचिए, उन्हें पैसा दीजिए।’’

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

आतिशी दिल्ली की पहली महिला नेता विपक्ष नियुक्त

हाल ही में हुए चुनावों में आप की करारी...

इंग्लिस के तूफ़ान में उड़ गया इंग्लैंड, फीका पड़ा डकेत का शतक

ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद चैंपियंस ट्रॉफी के...

अमरीका की नागरिकता चाहिए तो 5 मिलियन डॉलर खर्च करो

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमीर अप्रवासियों के लिए तथाकथित...

सीबीएसई 10वीं की परीक्षा साल में दो बार, पहला चरण फरवरी दूसरा चरण मई में

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मंगलवार को 2026...