प्रधानमंत्री मोदी को अगर तीसरी बार फिर वापस आना है तो कर्मचारी वर्ग को खुश करना ही होगा। 1 फरवरी को पेश होने वाला अंतरिम बजट इसके लिए सही मौका होगा। इस बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ ऐसे एलान कर सकती है जिनसे कर्मचारी वर्ग जो एक बड़ा वोट बैंक भी है खुश हो सकता है, उसकी लम्बे समय से चली आ रही मांगे पूरी की जा सकती हैं जिनमें 18 महीने का बकाया मंहगाई भत्ता भी है. 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा भी हो सकती है.
इन सब बातों की सम्भावना इसलिए है क्योंकि चुनाव से ठीक पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करने जा रही हैं और चुनाव से पहले वाले बजट में सरकार सभी वर्ग को साधने की कोशिश करती है ऐसे में वो केंद्रीय कर्मियों पर ख़ास मेहरबान हो सकती है। केंद्रीय कर्मियों का 18 महीने का DA सरकार पर उधार पड़ा है, सरकार ने अभी तक इसका भुगतान नहीं किया है. बता दें कि कोविड काल में सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के DA और DR के पेमेंट पर रोक लगा दी थी. सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स लंबे समय से सरकार से अपना बकाया मांग रहे हैं तो अब चुनाव से पहले सरकार उनकी ये मांग मान सकती है.
सरकार ने लम्बे समय से सरकारी कर्मचारी कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर भी रिवाइज नहीं किया है तो हो सकता है कि इस बजट में ऐसा हो जाय और अगर ऐसा हो गया तो मिनिमम बेसिक सैलरी 18,000 रुपए से बढ़कर 26,000 रुपए तक चली जाएगी. बेसिक सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव से पीएफ से लेकर एचआरए तक में बदलाव होगा.
8वां वेतन आयोग बनाने की भी सरकारी कर्मचारियों की मांग लम्बे समय से है, 7वें वेतन आयोग की मियाद पूरी हो चुकी है. ऐसे में मोदी सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा करे. हालांकि सरकार ने कई मौकों पर कहा है उसका 8वां वेतन आयोग बनाने का कोई इरादा नहीं है. लेकिन तीसरी बार सत्ता के लिए मोदी सरकार हो सकता है अपनी बात से पलट जाय और 8वां वेतन आयोग गठित करने की घोषणा हो जाय, सिफारिशें लागू करने की बात अगले चुनाव में देखी जायगी.